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अन्तर्राष्ट्रीय गायन
 


जो लाभ होता है, उसका एक निर्द्वारित अश, कर के रूप मे, सरकार को देना पडता है। सन् १९३९ मे जब युद्ध आरम्भ हुआ, तब सरकार ने एक क़ानून बनाकर यह टैक्स भारत मे भी लागू कर दिया।


अधिनायक-तत्र--शासित जनता की सम्मति या आकाक्षा के बिना या उसके विरुद्ध किसी एक व्यक्ति या व्यक्ति-समूह का शासन। प्राचीन रोमन प्रजातत्र के समय भी यह प्रणाली प्रचलित थी। जब राज्य या राष्ट्र पर कोई संकट आता था तब धारा-सभा द्वारा एक व्यक्ति को ७ वर्ष के लिए अधिनायक नियुक्त कर दिया जाता था। इस अवधि मे उसे सर्वाधिकार प्रात होते थे। जब संकट-काल समाप्त हो जाता था, तब वह अपना पद त्याग देता था और फिर विधान के अनुसार शासन-प्रबध होने लगता था। आधुनिक समय मे यूरोप तथा एशिया के अनेक राज्यो मे अधिनायक-तत्र स्थापित है। जर्मनी, इटली, स्पेन, सिद्धांततः नही तो कार्यत: जापान मे सैनिक अधिनायकतत्र प्रचलित है। सोवियट रूस का अधिनायक जनता द्वारा जनता के लिये है।


अंतर्राष्ट्रीयता--अंतर्राष्ट्रीयता से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो संसार के समस्त राष्ट्रों मे पारस्परिक राजनीतिक, आर्थिक, राजस्व-सम्बन्धी, सास्कृतिक और सामाजिक सहकारिता तथा संबंध स्थापित करना चाहती है। इस विचारधारा के अनुसार समस्त राष्ट्रों को, सामान्य हितो की रक्षा के लिए, अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करना वांछनीय है।


अन्तर्राष्ट्रीय गायन--यह समस्त समाजवादियों औप साम्यवादियो का अन्तर्राष्ट्रीय गायन भी है। यह सोवियट‌ रूस का राष्ट्रीय गायन भी है। सन् १८७१ मे एक वेलजियन मजदूर ने इसकी रचना की थी। सन् १९३४ मे उसकी मृत्यु पेरिस मे हो गई। इस गायन के प्रथम छ्न्द क हिन्दी रूपान्तर निम्न प्रकार है:--

"उठो! ऐ वुभुक्षित! अपनी घोर निद्रा का त्याग कर।
उठो! ऐ अभाव--आवश्यकता--के बन्दी।
क्योकि अब बुद्धि ने विद्रोह क बीड़ा उठाया है।
अब आख़िर मे पुरातन-युग का अन्त होता है।
अब तुम अपने सब अन्ध-विश्वासो का अन्त करदो।