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पूँजीवाद
 


है, जिसमे अंगोला, गिनी, मोज़ामविक हैं। इनके अलावा गोआ (भारत) तथा सुदूरपूर्व में भी उसके उपनिवेश हैं। यह देश तटस्थ है। ब्रिटेन से इसका मित्रता का सम्बन्ध है। पुर्तगाल के अजोर और केप वर्ड द्वीपसमूह, अतलान्तिक मे, सामरिक दृष्टि से, बहुत महत्त्वपूर्ण टापू हैं। सुदूर पूर्व में उसके चीन के मकाओ नामक देश पर जापान क़ब्जा कर चुका है और तिमोर पर १९४१ के दिसम्बर में मित्रराष्ट्रो ने अधिकार जमा लिया है।

पूँजीवाद-–पूँजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत उत्पादन, वितरण तथा विनिमय के समस्त साधन अर्थात् सम्पूर्ण आर्थिक-जीवन का स्वाम्य कुछ व्यक्तियों के हाथ में रहता है। उत्पादन के साधन--कृषि, भूमि, खाने, कारख़ाने, मकान, रेल, जहाज़, मोटर इत्यादि हैं। वितरण के साधन--इन समस्त उत्पादन के साधनो द्वारा जो पैदावार-उपज होती है, उसके वितरण तथा विनिमय के साधन मड़ियाँ, बाजार, बैंक इत्यादि हैं। आधुनिक युग में इन सब पर पूँजीपतियो का अधिकार है। दूसरी वर्ग उन लोगों का है, जिनका इन साधनो पर कोई अधिकार-आधिपत्य नहीं है। वे मज़दूर, श्रमजीवी तथा सर्वहारा कहलाते हैं। उनके पास केवल श्रम-शक्ति है। बस, वे उसे भी पूँजीपतियों को बेच देते हैं। उस श्रम-शक्ति के बदले में उन्हें कुछ मज़दूरी मिल जाती है। वर्तमान समाज में सर्वहारा वर्ग विशाल बहुमत मे है।

समाजवाद पूँजीवाद का विरोधी है। समाजवाद के अनुसार उत्पादन और वितरण के इन समस्त साधनों पर समस्त समाज--राष्ट्र--का स्वाम्य होना चाहिए, कुछ व्यक्तियों, पूँजीपतियों का, नहीं। वह समस्त उद्योग-धन्धों और कृषि का समाजीकरण चाहता है।

पूँजीवाद के समर्थक यह दलील देते हैं कि ससार मे आज जो उन्नति तथा उत्कर्ष दिखलाई दे रहा है, वह पूँजीवाद के कारण ही संभव हो सका है। पूँजीवाद जनता की भलाई चाहता है, परन्तु साथ ही वह व्यक्तिवाद का समर्थक है।

समाजवादी यह कहते हैं कि पूँजीवाद एक विशेष अवस्था तक ही अपना काम करता है। इसके बाद उसमे अन्तर्द्वद्व पैदा हो जाता है। एक पूँजीवादी दूसरे पूँजीवादी को नष्ट कर देना चाहता है। बड़े पूँजीवादी छोटो