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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२०८

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फ़िलस्तीन
 

कर दिया। १७ मई १६३६ को पार्लमेन्ट द्वारा स्वीकृत एक ब्रिटिश श्वेत-पत्र प्रकाशित किया गया कि "ब्रिटिश सरकार यह स्पष्ट रूप से घोषित करती है कि यह उसकी नीति नहीं है कि फिलस्तीन एक यहूदी राज्य बन जाय।" मैकमैहन पत्र-व्यवहार के आधार पर अरबो ने दावा किया कि फिलस्तीन को अरव-राज्य बना दिया जाय। यह दावा अस्वीकृत हुया और ब्रिटिश मरकार ने कहा-"फिलस्तीन तो एक ऐसा स्वतत्र राज्य होगा जिसमे यहूदी तथा अरब दोनो ही शामिल होगे और उन्हें शामन-प्रबध में इस प्रकार भाग लेने का अधिकार होगा जिसमे दोनो के स्वार्थ सुरक्षित रहे ।" यह भी कहा गया कि "दस माल के बाद फिलस्तीन को स्वतत्र राज्य बना दिया जायगा और दोनो देशो की व्यापारिक एव सामरिक अावश्यकताओं के अनुकूल ब्रिटेन के साथ उसे सधियाँ करनी होगी। फिलस्तीन मे तिहाई से अधिक यहूदियो को न रहने दिया जायगा। पाँच साल मे ७५,००० यहूदी बाहर भेज दिये जायेंगे ।” साथ ही अनेक बन्धन भी प्रस्तावित गये। फरवरी १९४० से फिलस्तीन मे यहूदियो को जमीनें वेची जानी बन्द कर दी गई हैं, किन्तु कई हिस्सों में वह अब भी भूमि खरीद सकते हैं।

राष्ट्रसघ के शासनादेश कमीशन ने ब्रिटिश श्वेत-पत्र को अस्वीकार कर दिया है। साथ ही यहूदियो और अरबो ने भी। पर युद्ध के शुरू हो जाने से यह समस्या ज्यो की-त्यों रह गई है। युद्वकाल मे,यहूदी-अरब-सघर्ष शान्त है और दोनो ब्रिटेन की मदद कर रहे है।

सन् १९१८ मे फिलस्तीन में यहूदियो की सख्या १०,००० थी, अब ४,८०,००० है। देश के उद्योग और कृपि म यहूदियो की ३ करोड़ पौड की पूजी लगी हुई है। उनकी वहाँ २३० कृषिकारो की आबादियाँ हैं। डेढ लाख की आबादी के तल-अवीव शहर को उन्होने बसाया है और अनेक कारखाने खोल दिये हैं। प्रावुनिक ढग से सुधारी हुई इबरानी भापा को उन्होने अपना लिया है,पूर्ण शिक्षा -क्रम स्थापित कर दिया है,जिसमे एक विश्वविद्यालय भी है। राजनीतिक रूप से इनमे चार दल हैं। अरबों मे भी फिलस्तीन-अरब या मुफ्ती,स्वाधीनता,अरब युवक,नरम "ली राष्ट्रीय-रक्षा-चार दल हैं। मुफ्ती-दल इनमे शक्तिशाली है। अरबोकी