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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२१

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अनुदार दल
 


और प्रधान-मन्त्री बन गये। फ्रान्स मे मज़दूरो का नेता ब्रियाद ग्यारह बार प्रधान-मन्त्री बना और उसने मज़दूरो की हडतालो को दबाया। विश्व-युद्ध (१९१४-१८) के बाद रूस के प्रमुख नगर मास्को मे रूसी राज्य-क्रान्ति के प्रमुख नेता लेनिन ने सन् १९१९ मे एक नवीन अन्तर्राष्ट्रीय सघ की स्थापना की। यह विशुद्ध साम्यवादी संघ था। इसमे वही सम्मिलित हो सकते थे, जो अपने को पक्का साम्यवादी घोषित करते थे। यह आज भी विद्यमान है और यह संघ तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के नाम से विख्यात हैं। विश्व-युद्ध के बाद द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के जो कुछ लोग शेष बचे, वे कुछ तो तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ में मिल गये और जो शेष बचे उन्होने द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ का पुनरुद्धार किया। आज ये दोनो संघ द्वितीय तथा तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये दोनो ही कार्ल मर्क्स के अनुयायी होने का दावा करते हैं; परन्तु दोनो परस्पर इतनी घृणा का व्यवहार करते हैं कि जितना जर्मन यहूदी के साथ। इन दोनो अन्तर्राष्ट्रीय संघो में संसार के समस्त मज़दूर-संघ शामिल नही हैं। अनेक देशो के मज़दूर-संघो का इन दोनो मे किसी से भी संबंध नही है। अमरीका तथा भारत के मज़दूर संघो का इन दोनो से कोई संबंध नही।


अनाक्रमण-संधि--दो राष्ट्रो के मध्य परस्पर बल-प्रयोग न करने तथा अपने विवादो का समझौते द्वारा निर्णय करने के लिए की गई सन्धि। विगत विश्व-युद्ध के बाद से, और विशेषतः राष्ट्रसंघ की विफलता के कारण, यूरोप के राष्ट्रों में इस प्रकार की संधियाॅ अधिकता से होने लगी। यह संधियाॅ वास्तव मे, युद्ध के लिये गुट्टबन्दी के हेतु, की गई थी। इन संधियो से राष्ट्रो कि स्वाधीनता की रक्षा बिलकुल नही हुई।


अनुदार दल--यह ब्रिटेन का एक प्रमुख राजनीतिक दल है। इसे अँगरेज़ी मे 'कज़रवेटिव पार्टी' कहा कहा जाता है। वहॉ की युनियनिस्ट पार्टी भी इसीके अन्तर्गत है। सन् १९३५ के कॉमन-सभा के निर्वाचन मे कुल २,२०,००,००० मतों में से १,०४,६६,००० मत अनुदार दल के उम्मीदवारो को मिले। कॉमन-सभा की ६१५ जगहो मे से ३७५ जगहे अनुदार-दल को मिली। यह दल सामान्यतया प्रगतिशील और प्रजातंत्र का समर्थक तो है; परन्तु क्रान्ति की