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बलकान राष्ट्र-समूह
 

नेतृत्व मे,शिमला में वायसराय से मिला और उसने मुसलमानों के लिये विशेष अधिकारो की मॉग पेश की।

बगाल मे जनता ने सगठित रूप से इस योजना के विरुद्ध घोर आदोलन। किया : विशाल सार्वजनिक सभाओ,प्रदर्शनों,जुलूसों तथा हड़तालों का आयोजन किया गया। विद्यार्थियो ने स्कूली तथा कालेजो का त्याग कर आदोलन में भाग लिया। यह आदोलन बगाल तक ही सीमित न रहकर देश के अन्य भागो मे भी फैला । इस आदोलन तथा विरोध के बावजूद अक्टूबर १९०५ मे यह योजना कार्यान्वित कर दी गई। सरकार ने राष्ट्रीय आदोलन का जितना ही अधिक दमन किया,उतना ही वह अधिक शक्तिशाली होता गया। स्वदेशी और बहिष्कार भावना का जन्म भी इसी समय हुआ। राष्ट्रीय विद्यालयो की बगाल में स्थापना की गई और स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार और विदेशी के बायकाट के लिये प्रयत्न किया गया। ७ अगस्त १६०५ को भारत मे सबसे प्रथम विदेशी वस्तु बहिष्कार का सगठन किया गया और बहिष्कार दिवस मनाया गया।

१२ दिसम्बर १९११ को देहली में दरबार हुया। इसमे बादशाह पचम जाज ने घोषणा करके भारत की राजधानी कलकत्ता से देहली बना दी। साथ ही बगाल को एक प्रेसीडेसी बना दिया गया । बिहार, छोटा-नागपुर और उडीसा को एक लेफ्टिनेट गवर्नर के अधीन कर दिया गया तथा आसाम को चीफ कमिश्नर का प्रात बना दिया गया। इस प्रकार बग-भग रद कर दिया गया और भारतीय राष्ट्रीय-जागरण का प्रथम अध्याय समाप्त हुआ।

बलकान राष्ट्र-समूह--बलकान राष्ट्र-समूह मे यूगोस्लाविया,रूमानिया ,बलगारिया,यूनान,अलबानिया तथा योरपीय-तुर्की शामिल हैं। बलकान राष्ट्रो का योरप की राजनीति,मे विशेष स्थान रहा है, और यह विगत विश्वयुद्ध के पूर्व 'योरप मे मुग़ो के लडने का अखाड़ा' तथा 'योरप का तूफानी ६ कहलाता रहा है। सन् १९१२-१३ के प्रथम और द्वितीय बलकान-