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बाल्टिक राष्ट्र-समूह
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पूरे तीन साल लगे । २०० इजीनियर तथा १,६०,००० मज़दूरों ने काम किया। इसके बनाने मे १ करोड ६० लाख डालर व्यय हुए है। चीनी सरकार को सयुक्त राष्ट्र अमरीका, भारत, ब्रह्मा तथा ब्रिटेन से मदद न मिले--इस विचार से जापान ने, फ्रान्स के पतन के वाद, हिन्द-चीन की सरकार से हेपहांग-हैनोई-कुमनिंग्-रेलवे मार्ग को बन्द करने के लिये आग्रह किया और विशी-सरकार ने, २० जून १९४० को, उसे बंद कर दिया । चीन के समुद्र-तट पर जापान को अधिकार होगया था। यह मार्ग फ्रान्स ने बन्द करा दिया। तब चीन के लिये ब्रह्मा-चीन-मार्ग ही रह गया था। बाडिया—लीविया ( अफ्रीका ) मे, जो इटली के अधीन था, एक बन्दरगाह । इसकी क़िलेबन्दी को अँगरेज़ो ने तोड़ दिया और ७ जनवरी १९४१ को इस पर अपना अधिकार जमा लिया । | वालफोर घोपणा-२ नवम्बर १९१७ को ब्रिटेन के तात्कालिक वैदेशिक मंत्री मि० जे० ए० बालफोर द्वारा, ब्रिटिश यहूदी संघ के अध्यक्ष, लार्ड राथ्सचाइल्ड, को लिखा गया पत्र, जिसमे मि० बालफोर ने लिखा-‘ब्रिटिश सरकार यह चाहती है कि फिलस्तीन मे यहूदी जनता के लिये एक राष्ट्रीय उपनिवेश स्थापित किया जाय । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये वह भरसक प्रयत्न करेगी । यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिये कि कोई ऐसा कार्य नहीं किया जायेगा जिससे फिलस्तीन-अधिवासी दूसरी जनता के नागरिक तथा धार्मिक अधिकारी में हस्तक्षेप हो अथवा दूसरे देशों में यहूदियो की जो स्थिति है, उस पर कोई असर पडे । इसी पत्र के आधार पर यहूदी अपना आन्दोलन फिलस्तीन में कर रहे हैं । वाल्टिक राष्ट्र-समृह-लिथुआनिया, लॅटविया एस्टोनिया और फिनलैण्ड बाल्टिक राष्ट्र कहलाते हैं । सन् १९१८ से पूर्व यह रूस के प्रान्त थे । तब से यह राज्य सोवियत रूस और पश्चिमी योरप के बीच स्वतन्त्र राष्ट्र बने रहे । स्वभावतः ही रूस इन देशों पर अपना पुनराधिकार प्राप्त करके वाल्टिक सागर पर अपना प्रभुत्व चाहता था । अक्टूबर १९३९ में रूस ने, इस युद्ध भे, अवसर से लाभ उठा लिया । दिसम्बर १९३६ में फिनलैंड पर उसने ब्राहमण किया और मार्च १६४० में उसके बहुत से प्रदेशों पर अधिकार र