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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२२१

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ब्रिटिश नौ-सेना
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सबसे अधिक कहवा यहॉ से संयुक्त-राज्य अमरीका ( लगभग ५० प्र्स्तिशत ), ग्रेट ब्रिटेन तथा जर्मनी को भेजा जाता है ।

बिडला, सेठ घनश्यामदास- भारत के सुप्रसिध्द व्यापारी । जन्म सन १८६१ । बिडला ब्रदर्स, लिं, के मैनेजिंग डायरेक्टर, सन १६३० मे केन्द्रिय असेम्बली के सदस्य । इम्पीरियल प्रिफरेन्स के विरोध मे सदस्यता से त्याग-पत्र दे दिया । सन १६३५ मे इन्डियन चेम्बर आफ कामर्स, कलकत्ता, के सभापति । सन १६२६ मे फेडरेशन आफ इन्डियन चेम्बर्स आफ कामर्स के सभापति । इन्डियन फिस्कल कमीशन के सदस्य । सन १६२७ में अन्तर्राष्ट्रीय मज़दूर सम्मेलन, जिनेवा, मे भारतीय प्रतिनिधि । सन १६३० मे व्दितीय गोलमेज परिषद के सदस्य । सन १६३२-३८ मे अखिल-भारतवर्षीय हरिजनसेवक सघ के प्रधान । आपने सार्व-जनिक हितो के कायो के लिए अनेक सस्यात्र्प्रो को लाखो का दान दिया है ।

ब्रिटिन नौ-सेना - सन १६३६ के मध्य मे ब्रिटिश नाविक-सेना की शक्ति इस प्रकार थी- १५ युध्द-पोत, ६२ क्रूज़र, ७ हवाई जहाज़ ले जानेवाले जहाज़, १६८ विध्वन्सक, ५४ पनडुब्बियॉ ।

६ युध्द-पोत, २२ क्रूज़र, ६ हवाई जहाज़ ढोनेवाले जहाज़, ४० विध्वन्सक, १८ पनडुब्बियॉ बन रही थी ।

युध्द के पहले ६ महीनो मे १ युध्दपोत, १ हवाई जहाज़ ले जानेवाला जलयान, ६ विध्वन्सक, ४ पनडुब्बियॉ नष्ट हुई तथा २ युध्दापोत त्र्प्रोर १ क्रूजर टूट-फूट गये । किन्तु उसके बाद यह सब अधिक संख्या मे तेज़ी से बन रहे