अबीसीनिया--यह अफ्रीका का एक देश है। इसका अरबी नाम मुल्क हवश और अँगरेजी नाम इथियोपिया है। इसका क्षेत्रफल ३,५०,००० वर्ग मील तथा जनसंख्या ७५,००,००० है। सन् १९३६ तक यह स्वतंत्र था। इसके बाद यह इटली के अधीन होगया। जब पिछली सदी मे इटली ने अफ्रीका मे इरीट्रिया तथा शुमालीलैण्ड पर आधिपत्य जमा लिया तब ही से उसकी इच्छा इस स्वतंत्र देश को भी अपने अधीन बनाने की थी। सन् १८९६ में इटली अबीसीनिया-युद्ध मे अदुआ स्थल पर इटली की पराजय हुई। इसके बाद अबीसीनिया स्वतंत्र तो रहा, परन्तु उसने आधुनिक समय के अनुसार कोई उन्नति नहीं की। इस शताब्दी के प्रारम्भिक युग मे अबीसीनिया में राजसिंहासन के लिए बहुत दिनो तक संघर्ष चलता रहा। अन्त मे हेली सिलासी सम्राट होगया। पहले यह राजकुमार रास तफारी के नाम से विख्यात था। दिसम्बर सन् १९३४ मे सीमान्त पर उल-उल नामक स्थान पर इटली तथा अबीसीनिया मे संघर्ष होगया। इसके परिणामस्वरूप २ अक्टूबर सन् १९३५ को इटली और अबीसीनिया मे युद्ध छिड़ गया। ये दोनो ही तब राष्ट्रसंघ के सदस्य थे। हेली सिलासी ने राष्ट्रसंघ से हस्तक्षेप करने के लिए अपील की। राष्ट्रसंघ ने इटली को आक्रामक घोषित कर दिया और बहुत देर के बाद इटली के विरुद्ध आर्थिक दण्डाज्ञा का भी प्रयोग किया। आर्थिक दण्डाज्ञा भी बहुत ही परिमित रूप में प्रयुक्त की गई तथा राष्ट्रसंघ के सदस्य सैनिक दण्डाज्ञा का प्रयोग करना नही चाहते थे। उस समय फ्रांस मे मोशिये लावल प्रधान मत्री था। उसने इटली को मदद दी। ब्रिटेन ने भी पूरी शक्ति के साथ अबीसीनिया की मदद नही की। इसलिए राष्ट्रसंघ इटली के आक्रमण को रोकने मे अशक्त सिद्ध हुआ। अबीसीनिया की सेनाऍ पुराने ढंग की थी, वे आधुनिक युद्ध-कला में दक्ष नही थी, फिर अबीसीनिया के पास युद्ध की सामग्री भी नही थी। वह इटली की आधुनिक युद्ध-सामग्री से ल्हैस ५,००,००० सेना का मुक़ाबला करने मे अयोग्य था। इटली के हवाई जहाजो तथा बम-वर्षको ने अबीसीनिया मे बम-वर्षा की और विषैली गैस का भी प्रयोग किया। १ मई १९३६ को सम्राट् हेली सिलासी इॅगलैण्ड को भाग गये और ९ मई १९३६ को मुसोलिनी ने अबीसीनिया को इटली के साम्राज्य मे मिला लेने
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अबीसीनिया