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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२५२

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काग्रेस

० * * * १३४ १८ ० ० ० २४६ भारतीय मुसलिम लोग सन् १९३६ के प्रान्तीय चुनावो मे मुमलिम लीग ने ज़ोरदार आन्दोलन किया, जिसमें उसको कांग्रेस की प्रकट सहानुभूति तथा नैतिक सहयोग प्राप्त था। प्रान्तीय असेम्बलियो मे लीग के सदस्यों की संख्या औसतन् निम्नलिखित थीः--- प्रान्त मुसलिम लीग अन्य मुसलिम जगहें मद्रास १५६ बम्बई ८८ बंगाल सयुक्त-प्रान्त पंजाब बिहार मध्यप्रान्त आसाम सीमाप्रान्त उड़ीसा सिंध योग १०८ ७१५ मुसलिम लीग का मुसलिम-बहुमत के प्रान्तों-बगाल, पजाब, सीमा-प्रान्त और सिंध में कोई प्रभाव नहीं है । वगाल में सिर्फ ४० सदस्य लीग के चुने जासके जब कि ७७ सदस्य ‘कृपक प्रजा' तथा अन्य मुसलिम दलों के चुने गये । पजाब मे सिर्फ एक लीगी उम्मीदवार कामयाब हुा । सीमाप्रान्त, सिध, उडीसा, मध्यप्रान्त तथा बिहार में एक भी लीगी सदस्य नही चुना जा सका। इस प्रकार किसी प्रान्त में लीग की सरकार न बन सकी । मि० मुहम्मद अली जिन्ना को इससे निराश होना स्वाभाविक था, क्योकि वह अपने पक्षपातियों के समक्ष अपनी शक्ति का क्रियात्मक उदाहरण कुछ भी नहीं रख सके। बाद में उन्होने काग्रेस का विरोध करके अपनी शक्ति बढ़ाने का यत्न आरम्भ किया तथा यह मिथ्या प्रचार किया गया कि कांग्रेस-सरकारों के अन्तर्गत मुसलमानो के हित ख़तरे में हैं और अन्त मे सन् १९४० के, लाहौर-अधिवेशन में तो, ने भारतीय राजनीतिक-मच पर अपना अख़ीरी ताश-पाकिस्तान भी ० ०