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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२६२

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२३१६ मक़दूनिया विचार किया गया तो काग्रेस-दल ने, एक वर्ष की अनुपस्थिति के बाद, श्री देसाई के नेतृत्व में, अधिवेशन में भाग लिया । धारासभा में अपने काग्रेस की युद्ध-सबधी नीति का स्पष्टीकरण किया । बजट असेम्बली द्वारा अस्वीकृत हुआ और वायसराय को अपने विशेषाधिकार से उसे स्वीकार करना पडा । अापका भाषण युक्तिपूर्ण और वकीलाना होता है । युद्ध-विरोधो सत्याग्रह १९४० मे भी मि० देसाई ने भाग लिया । ८ अगस्त '४२ की रात को काग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में भारत छोडो' प्रस्ताव स्वीकृत हुआ । आप कार्य-समिति के सदस्य थे, किन्तु बहुत पहले स्तीफा भेज चुके थे। कदाचित् इसी कारण आपको कैद नही किया गया है, और आजकल आपही काग्रेस के प्रमुख व्यक्ति हैं, जो जेल के बाहर हैं । १ - ।

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।। ५ । । ३ । मकदूनिया--( मैसीडोनिया ) । बलकान प्रायद्वीप के मध्य में स्थित । इसका सामरिक महत्व अत्यधिक है । कहावत है कि “वरडर घाटी का अधिपति बलकान-राष्ट्र-समूह का स्वामी है। मकदूनिया जातीय, भाषा-सम्बन्धी या राजनीतिक इकाई कभी नही रहा । पहले इस पर तुर्किस्तान का शासन था । बलग़ारिया, सर्बिया तथा यूनान भी, इसे हस्तगत करने के लिये, लडते. रहे हैं। मकदूनिया के पर्वतो मे इन चारों राष्ट्रों की सेनाएँ शताब्दी तक - लडती रही हैं । इस कारण यहाँ की जनता में इन चारो का सम्मिश्रण है ।