२६० मज़दूर दल
रष्ट्रीय-स्घ का सदस्य । सन् १६३५ के पार्लीमेट्ं के चुनाव मे कुल २,२०,००,००० मतो मे से ८३,२५,००० प्राप्त किये तथा ६१५ कामन्स सभा के सा सभा के सदस्यों में से १६८ सदस्य चुने गये । इस दल में मजदूर-सकें ( हैड यूनियनों ), समाजवादी तथा सहकारी सर्घा और स्थानिक राजनीतिक सस्था-यों का प्रतिनिधित्व है । कार्य-कारिण, मे मड़ाकू-संर्घा के सदस्यों का बहुमत है । इस दल का कार्य-क्रम सेविका, नरम ( माडरेट ), विकासवादी तथा प्रजात्प्यात्मक है । इसका उद्देश है उदृमेगक्वेघदृधों ओर यातायात का राट्रीयकरणढ़ सुगठित अर्थ-व्यवस्था और सर्वहित-कारी आधार पर वर्ण-भेद का उम्मूलन । इन उद्देशो की सिद्धि का आधार क्रान्ति नहीं यहि-म क्रमिक बिकास, सामाजिक क्रानून और राष्ट्र के आर्थिक-जीवन पर राज्य का धीरे-धीरेनियत्रण माना गया है । यह मार्क्सवाद तथा कान्ति से बहुत दृदु है । यह दल वित्ता-राष्ट्र- समूह (साम्राज्य) को बरकरार रखने का समर्थक है, परन्तु भारत को स्वराज दिये जाने तथा अन्य देशों को, जिन पर बरतानिया का आधिपत्य है, क्रमिक स्वराज्य दिवे जाने के पक्ष में है । इसके "तात्कालिक" कार्य-क्रम में यह कार्य शामिल है : राजस्व, भूम, यातायात, कोयला, विजली पर राट्रीय नियंत्रण, अस्थात" व्यापार पर नियन्त्रण, कम घगृटों के सप्ताह, मकानों की व्यवस्था, सामाजिक कानूनों का निर्माण तथा वेकारो की सहायता है दल ने उग्र शान्तिवाद और युद्ध-विरोधी अपने पहले उद्देशो को, नाली रत्रतो की अद्वाश"का से, बहुत पहले ही, छोड़ दिया है और वह बरतानिया की वैदेशिक-नीति में नात्सी-विरोध को सबल बनाने का प्रचार भी पहले से ही कर रहा है । मजदूर-सरकार दो बार
,ब्रिटेन मे शासन कर चुकी है है म्नन् १९२४ मे छोर १ ९२९-३ १ मे । किन्तु
दोनो बार, अल्पमत में रहने के कारण, राट्रीयक्ररण के अपने उद्देश के लिये वह कुछ न कर सकी । दल के तात्कालिक नेता, मृत जेम्सरैयूजे मैंकडु1नल्ड५ दोनों बार प्रधान-मब बने । शासन-सत्ता में बने रहने से उन्हें मोह होगया । १९३ ( की नेशनल गवर्ममेदृठ भी जो वस्तुत: दष्टियपुवियों की सरकार बी, उन्होंने बने रहना ही तय किया---, प्रधान-मंजी की हैसियत से । इस पर दल ने उन्हें निकाल-दिया । तब (उन्होंने छोटा-सा राट्रीय भज़कू दल कायम किया । सन् १९३१ से मज़दृदु दल के सदस्य सरकार मे पद-ग्रहण के विरोधी