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मरको २६५ | गया । इस देश में पाया जानेवाला कई प्रकार का कच्चा लोहा जर्मनी के लोहे के कारख़ानो के लिये दरकार था । साम्राज्यवादियो द्वारा मरक्को की तक़ाबोटी | किये जाने का यह पहला अवसर था । ७ अप्रैल १६.०६ को, मरक्को की बॉट-चोट के लिये, “मुक्त द्वार” नीति साम्राज्यवादियो ने तय की और | १६११ मे फ्रान्स ने मरक्को के फैज़ प्रान्त मे क़ब्ज़ा करने के लिये सेना भेज दी । जर्मनी क्यो पीछे रहता, उसने भी अगादिर बन्दर पर एक हथियारबन्द जहाज़ रवाना कर दिया । मरको की नोच-खसोट का दूसरा युग आरम्भ हुआ । तत्कालीन बरतानवी वज़ीरे-आज़म लायड जार्ज ने कहा कि बरतानिया जर्मनी की इस हरकत को बरदाश्त नहीं कर सकता । लडाई होते-होते बची । फ्रान्स-जर्मनी मे समझौता होगया । मरक्को पर फ्रान्स का अधिकार क़बूल कर लिया गया, बदले में जर्मनी को फ्रान्सीसी कांगो मे रिायते मिल गई। । सन् १९१२ से मरक्को तीन भागो में बँटा हुआ है, एक स्पेनी-क्षेत्र तथा दूसरा फ्रान्सीसी-क्षेत्र । टेजियर का तीसरा तटस्थ क्षेत्र १६२३ मे बना है और अन्तर्राष्ट्रीय-व्यवस्था के अधीन है। यह तीनो क्षेत्र, नाममात्र को, सुल्तान के प्रभुत्व में हैं। वर्तमान सुल्तान, शरीफी राज-वंश का, सिद्दीक़ मुहम्मद, है । परन्तु फ्रान्सीसी-क्षेत्र में फ्रान्सीसी रेज़ीडेट-जनरल ही वास्तविक शासक है । समस्त सरकारी आदेश उसीके द्वारा जारी किये जाते हैं । सारे देश मे फ्रान्सीसी सेनाएँ हैं । रेज़ीडेट फ्रान्स के वैदेशिक मंत्री के प्रति उत्तरदायी है । स्पेनी-क्षेत्र का शासन सुल्तान द्वारा नियुक्त ख़लीफा के हाथ में है, परन्तु इसकी नामज़दगी स्पेनी सरकार करती है । इस क्षेत्र का असली शासक स्पेन | का रेजीडेट है । फ्रान्सीसी-मरक्को का क्षेत्र० २ लाख वर्ग और स्पेनी-मरको का १३ हज़ार वर्गमील है। स्पेनी-क्षेत्र में भी लडाकू रीफ क़बीले की कुछ आबादी है। रीफ १६२४ से २७ तक, अपने देश की आज़ादी के लिये, अब्दुलकरीम के नेतृत्व में, फ्रान्सीसी और हस्पानियो ( स्पेनियो ) से लड चुके है । फ्रान्सीसी संगीनो और गोलियो के बल पर वह क्रान्ति दवा दी गई | थी और रीफों का नेता, अन्दलकरीम, अब तक एक फ्रान्सीसी टापू में कैद है। सन् १६३६में जनरल फ्रांको ने स्पेनके गृह-युद्ध की तैयारो इसी क्षेत्रमे की थी । | मरो को सेना ने उसके साथ भाग लिया। सामरिक दृष्टि से यह वडा महत्व