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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२८१

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मिस २७५ मिस्र की स्वाधीनता स्वीकार कर लीगई । इस सधि के अनुसार अँगरेज़ो ने अपनी सेनाए मिस्र से हटालों; परन्तु उन्हे यह अधिकार मिल गया कि वह स्वेज नहर पर १०,००० फौज तथा ४००० हवाई जहाज़ रख सकते हैं, सिकन्दरिया और सईद बन्दर को अपनी नौ-सेना का अड्डा बना सकते हैं और युद्ध या युद्ध के इवतरे के समय मिस्र मे होकर वे अपनी सेनाएँ ले जा सकते हैं । सन्धि के अनुसार वरतानिया ने मिस्र की रक्षा को भार अपने ऊपर ले लिया । १६३६ में बादशाह फुझाद मर गया और फारूक़ अव्वल बादशाह बना । द्वादशवर्षीय योजना के अन्तर्गत,, मिस्र में विदेशियों को मिले हुए, विशेषाधिकारी का खात्मा किया जाना भी तय किया गया । शासन में बादशाह का बहुत प्रभाव है । सरकार की नीति, पुरातनवादो मुसलिमो के विश्वास को ठेस पहुँचाये वगैर, मित्र में शनैः-शनैः आधुनिकता का प्रसार करने की है । शान्ति के समय मिस्र १३००० सैनिक रख सकता है-अाधुनिक कील-कॉटे से ल्हैस । जब तक मिस्री सेना द्वारा स्वेज़ में होने- वाली जहाज़रानी की स्वतन्त्रता और सुरक्षा का वरतानिया को विश्वास न होजाय तब तक स्वेज़ को हिफाज़त के लिये वरतानी फौज वहाँ रहेगी । मिल में इत्तहादी ( शाही ), उदार-विधानवादी ( सम्पत्तिशालियो का ) योरपियन-विरोधी-राष्ट्रीय, सयादी ( वफद की शाखा ) दल भी हैं, किन्तु मिल के वर्तमान वज़ीरे ग्राज़म, नहास पाशा, का वफूद दल सबसे शक्ति- शाली है । नहास मिल के सर्वमान्य नेता है । वह मित्र के राजनीतिक-पिता, साद जगलुल पाशा, के दाहिने हाथ. १९१९ ई० से, रहे हैं, जबकि १९२२ म, राष्ट्रीय-आन्दोलन के समय, इन दोनों लोकनायकों को एक साथ देश- निकाले की सजा ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा दीगई थी | १९२७ में, नगलुल की मृत्यु के बाद मे. नास देश के नेता हैं। नहास के नेतृत्व में १९३५ नक वरतानिया शोर भिन्न मे नत्र चलना भिख में जॉच मीशन भेजा गया. मिन बािर हुआ । मालमेज सभा में भी वह दल ने बहिष्कार ग्रि । घर्ष चल ही रहा था कि १९३५ में उनी ने नुल्क यश ( अदी- नि । पर इन। र दिय र १६:५-१६३६ , श न में हिन्द

  • दाल श्रमी रा ( भिन्तान ) ३ नदी, युः पहुँच जाने में