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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२८२

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मुकर्जी २७६ ग्रौर ब्रतानिया में युद्ध दछिड़ जाने की श्राशा होउठी । उस समय बरता- निया के राजनीतिज्ञे ने मिस्न को सतुष्ट करना ही उचित सम्झा श्रौर १६३६। मे, पूर्वोहक्त परस्पर सधि करली । गत धपष जमेन जनरल गेमल जकब लीव्रिया से बढता-बढ़ता मिस के समीप तक ्रा गया था, तब जकाहिरा श्रादि पर ुरी वायु- यानों ने बमवर्षा की थी । स्वेज बरतानिया के पूर्व-देशीय साम्राज्य की धमनी है, उसकी रद्षा के लिये युद्र-काल में सिल को संतुष्ट रखना श्रावश्यक है । मिलत से निरक्तरता बहुत की है, साधारण जनता &० फी० निरक्तर है। १९२३ के मिस्ती शासन-विधान के ग्रनुसार यहाँ दो धारा- सभाएँ हैं : मजलिसुश्श- व्यूक (बडी) जिसके १५० सदस्यों का, ५ साल के लिये, सावंजनिक चुनाव होता है। दूसरी मजलिसुल्- नवाब ( छोटी ), जिसके १०० सदस्यों मे से ६० को पफह सीटिया, क्राहिर अर. शल, ली बि था देनो )p्ल स्ल,रकारग हअस्भान तimhtािi r) HM१ 1 1]M 4NY लाड़ी तुल्यरे, इ द1् , रवास्तूम्प्रुी बारशाह नामज़द करता प्र फ्री का है, ४० का चुनाव होता है, सरकार मजलिसुश्श- य्यूक के प्रति ज़िम्मेदार है। मुकरजी, डा० श्यासाप्रसाद्---श्राप श्र० भा० कत्ता-प्रधान हैं । हिन्दू महासभा के नेताश्रों में ब्रापका महत्वपूरण र्थान है । विगत नवम्ब्र १६४१ में बंगाल-सरकार के प्रधान मत्री मियॉ फज़लुलहक़ ने श्रापको श्रपने मत्रि-मणडल मे श्रर्थ-सचिव के पद पर नियुक्त किया । इससे पूर्व श्राप कलकत्ता यूनिवर्सिंटी के वायस-चांसलर के पद पर भी कई वर्षों तक र चुके हैं । श्राप प्रसिद्ध शिक्षा-विज्ञ तथा विद्वान् है । ग्रगस्त १६४२ में ( 'फ़ा नस) हिन्दू महासभा के कारय- ..पीर्ट लाल सू7भर' मू म बेनगाज्ी