पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२८६

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२८० मुसोलिनी गया, तब वह शाम ( सीरिया ) में जाकर रहने लगा । शाम से भी वह अरव-आन्दोलन का सचालन करता रहा। फरवरी १९३७ में मुफ्ती ने, लन्दन के फिलस्तीन-सम्मेलन मे, अरब-सभ्य-मण्डल भेजा था। अप्रैल '४१ मे, रशीद अली के नेतृत्व में इराक़ में उठे अँगरेज-विरोवी विद्रोह में भी मुफ्ती ने भाग लिया। विद्रोह के दबा दिये जाने पर मुफ्ती ईरान को चला गया, और जब इराक़ पर अंगरेजों ने कब्जा कर लिया तो मुफ्ती इटली जा पहुँचा । दिसम्बर १९४१ मे वह जर्मनी में था, जहाँ उसने हिटलर से भेट की थी ।। | मुसोलिनी, बैनितो---इटली का अधिनायक; फासिज्म का सस्थापक; २९ जुलाई सन् १८८३ को पैदा हुआ, इसका बाप लुहार था; थोड़ासा इसने पढ़ा-लिखा; बडा होने पर मुसोलिनी समाजवादी बन गया । सन् १६०२ मे इटली से भाग गया और स्विट्जरलैण्ड जाकर रहने लगा । इटली वापस आया । समाजवादी दल में उग्र कार्यक्रम का प्रचार किया । १९१२ मे दल के मुख-पत्र ‘अवन्ती' का संचालक नियुक्त किया गया । १९१४ मे जब पिछला विश्वयुद्ध आरम्भ हुआ तो मुसोलिनी राष्ट्रवादी बन गया और इटली के युद्ध मे सम्मिलित होने का प्रचार करने लगा । समाजवादी दल ने, इस कारण, उसे अपने मे से निकाल बाहर किया । नवम्बर १९१४ मे उसने ‘पोपोलो द'इतालिया' नामक अपना पत्र निकाला; लड़ाई में हस्तक्षेप करने के अनुयायी दल का नेता बनगया; मई १९१५ मे, इटली के लडाई में शामिल होने पर, मुसोलिनी इटालियन सेना में भरती होकर साधारण सैनिक बना; कारोरल के पद पर पहुँचा, फरवरी १६१७ मे युद्ध में बुरी तरह घायल हुआ और अच्छा होजाने पर लौटा तथा समाचार-पत्र के सचालन में लग पड़ा। लडाई के बाद, वसई मे जब सधि हुई तो, इटली को विजय की लूट मे सन्तोषजनक भाग न मिला और देश मे वाम-पक्षी क्रान्तिवाद अधिक बढा तब, २३ मार्च १९१६ को, मुसोलिनी ने ‘मिलान' नगर मे, फ़ासिस्त दल की स्थापना की, जिसमे उस सयय सिर्फ ४० सदस्य भरती हुए। इस दल का कार्यक्रम राष्ट्रीय और साम्यवाद-विरोधी रखा गया। १९१९ के चुनाव में उसके दल के उम्मीदवारों को सिर्फ ४,००० मत मिले, किन्तु बाद में यह आन्दोलन तेजी से बढ़ा । सन् १९२१ मे उसने लिबरल दल के नेता से समझौता किया।