रीका तक आपके नाम की धुत है । हिन्दू महासभा की तरह मुसांलेम लीग यद्यपि उक साम्प्रदायिक सस्था है, विद आपने काग्रेस के अनुकरण मे,उसका सगठन बिलकुल काग्रेस के आधार पर कर डाला है: 'काग्रेस ने पूर्ण स्वता८त्रता का प्रस्ताव स्वीकार किया, लीग ने भी किया । ब-काग्रेस ने युद्ध में सहयोग देने से इनकार किया, लौग ने भी किया । फिर भी आपकी असहयोग-वादी लीग को अन्तरहुंय जगत में आजकल बहुत महाव प्राप्त हुआ है : म्युनिख-सभीत-यह समझौता, उ-यहा के मुरूय नगर आयु/नेय-व में, जर्मनी, प्रेटविटेन, पाम्स तथा इटली के बीच, २९ लित्तभ्यर १९३८ को, हुआ, जिसके अनुसार जैकोत्लोवाकिया के सूडेटन-जरमन-जिले जर्मनी को दे दिये गये । (हिटलर ने इस इलाके की वापसी का मताल-या अगस्त में अपने था और जैबस्तितोवात्केया पर हमला करने की तैयारी करली थी । यरतानी वकील-जम चेम्बरलेन हवाई मार्ग द्वारा उड़ कर हिटलर के सदर अम प-हुमने और हिटलर से मिले और लडाई रोकने की उससे अनुनय की । फलता बरतानिया और कान्त की लिकारशपर लेकोरलीवाकिया अपने उन जिलों बने छोड़ने को राजी होगया जिनकी अपवादी आधी से अधिक जर्मन थी । चेम्बरलेन साहब दुवारा उपकर हिटलर से मिले, विज हिटलर ने अब की बार अपने मतालये की बता दिया । उसने पहले से भी अधिक इलाका वापस मतमगा और दूसरे एक इलाके में जनमत लिये जाने का मताब किया । मि० चेम्बरलेन स्थाई यान से वापस ऐनौट आये और पशिचमी राष्ट्रो फ्रास और (ब्रिटेन-ने जै८-होस्वीवनाकेया को सलाह दी कि वह कोजी तैयारी केरे । कान्त और वरता- निया ने भी लामबंदी शुरु कर दी और लडाई अनिवार्य दिखाई दी । तब हिदलर ने, मुसंनलेनी के परामर्श से, ययुनिख में दृश्य सम्मेलन होने कीतजवी९ल पेश-फी । २८ सितंबर को चेम्बरलेन, दलाल मुसोलिनी औरहिटलर म्युनिख में शक: हुए । हिटलर की मनाते भी इस सम्मेलन मे, कुछयो-ही-सी रहें-बदल कीगई, (केल इस अवसर पर पश्चिमी राल ने उन्हें स्वीकार कर लिया । जिन दृला२देको हिटलर चाहता था, वहा विना जनमत लिये हुए हो, हिटलर बने वे दिये जाने स्वीकार कर लिये गये । इस समकीते के अनुसार, १ अकाल १९३८ रो, जर्मन-सेना ने जैकोमतोवाकिया में प्रवेश किया समभीतेसे यह भी निश्चय
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