पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३०२

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२६६ यहूदी उनकी सम्पत्ति और नागरिक अधिकारी से च्युत कर दिया गया। यहूदियों को विधर्मी और हीन विषाक्त रक्त की जाति घोषित कर दिया गया। उन्हें स्वभाव से ही जरायम-पेशा क़रार दे दिया गया और उनका घोर अपमान किया जाने लगा। नूरम्वर्ग कानून के अनुसार जर्मन लड़कियो को यहूदियों से विवाह या प्रेम-सम्बन्ध स्थापित करना जुर्म करार देदिया गया । | पेरिस के जर्मन दूतावास के एक कर्मचारी, हर वाम राथ, को पोलण्ड के एक यहूदी नौजवान लड़के ने मार डाला, फलत. १० और ११ नवम्बर १६३८ को सारे जर्मनी में यहूदियो पर खुलकर अत्याचार किये गये । यहूदियो के घरों और दूकानों को नष्ट कर दिया गया, यहूदी अस्पतालो और बालकविद्यालयो तक को नहीं छोड़ा गया और उनके पूजास्थलों को आग लगा दीगई। आइन्स्टाइन ( गणित-विज्ञान का विश्वविख्यात प्राचार्य ) तथा फ्राइड (जो मनोवैज्ञानिक उपचार-प्रणाली का प्राविष्कारक है) को जर्मनी से निर्वासित कर दिया गया । मैडलसोन तथा आफनवोक, प्रसिद्ध यहूदी सगीत-कलाविदों, के गायन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया । यहूदियों को समस्त व्यवसायों और व्यापारो से वचित कर दिया गया। उन्हें नजरबन्दी-शिविर में भेज दिया गया । बडे-बडे विद्वान् यहूदियों का सार्वजनिक रूप से अपमान किया गया । ६ लाख यहूदियो मे से श्राधे यहूदी जर्मनी से निकाल बाहर किये गये, और उनका निष्कासन जारी था कि युद्ध शुरू होगया । जर्मनी से निकाले हुए यहूदी पश्चिमी योरप, फिलस्तीन और अमरीका में जा बसे हैं। नात्सी यहूदी नस्ल के ईसाइयो के भी विलाफ हैं । प्रत्येक जर्मन नागरिक को अपनी वशावली दिखानी पडती है। जिनके पूर्वजो में एक भी यहूदी पाया जाता है, उनकी सज्ञा वर्णसकर करार दे दी जाती है, और ऐसी बहुत बड़ी संख्या जर्मनी मे पाई गई है । ऐसे नागरिको पर, उनके दूषित रक्त के कारण, अनेक पाबन्दियों लगा दी गई हैं ।। इस युद्ध से पूर्व जर्मनी, इटली, हङ्गरी और रूमानिया को छोडकर समस्त देशो मे यहूदियो को समता के नागरिक अधिकार प्राप्त थे । नात्सी-अधिकृत देशो में भी यहूदी-विद्वेष बढ चला है, और उन्हीके दबाव से, सन् १९४०-४१ |८ मे, मार्शल पेतॉ ने भी अपने विशी-प्रदेश मे, यहूदी-विरोधी क़ानून बनाये हैं।