पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३०९

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वह मर गया। तुर्की-यूनान-युध्द के कारण राजसत्ता की नीव हिल चुकी थी, फलत: एक वर्ष के बाद, उसके पुत्र जार्ज द्वितीय को भी, राज्यासन छोडना पडा और यूनान मे प्रजातन्त्र की स्थापना हुई। इसके बाद प्रजातन्त्र मे आन्तरिक कलह तथा उपद्रव होते रहे और देश मे एकतन्त्र शासन की स्थापना के लिये फिर से आकात्ता उत्पन्न होगई। सन १९३२ ओर '३३ के चुनावो मे वेनीजैलोस की हार हुई। प्रजातन्त्र कायम रहने के लिये उसने कई विद्रोह कराये, किन्तु वे सफल न हुए। राजसत्तावादी कोन्डिलिस के हाथ मे सत्ता आगई ओर उसने एकतन्त्र के पक्ष मे जनमत प्राप्त कर लिया। सन १९३५ मे वेनीजैलोस को निर्वासित कर दिया गया। पैरिस मे, १९३६ मे, उसकी मृत्यु होगई। अप्रैल १९३५ मे जार्ज द्वितीय पुन: गद्दी पर आ गया। कोन्डिलिस ओर उसका सहयोगी जाल्देरिस भी मर गये। अप्रैल १९३६ मे जनरल मैटाक्सस को प्रधानमन्त्री बनाया गया। ४ अगस्त १९३६ को उसने "कम्युनिस्ट क्रान्ति" के बहाने यूनान मे अधिनायकतन्त्र स्थापित कर दिया। पाल्रमेट भग कर दी गई, राजनीतिक दलो का दमन किया गया ओर १९३८ मे वह आजन्म प्रधान-मन्त्री बना दिया गया। वर्तमान युध मे यूनान तटस्थ था। लेकिन इटली पिछले युध से ही यूनान पर लोलुप हष्टि लगाये हुये था। १९४० मे उसने यूनान पर हमला किया और हारा। इटली के साथ जर्मनी भी यूनान पर हष्टि लगाये था, ताकि वह बलकान देशो मे होकर देरदानियाल तक पहुच सके ओर पूर्वीय भूमव्यसागर मे वरतानी आधिपत्य मे हक्शतछेप कर सके। युध से पूर्व ही यूनान की विदेशी तिजारत तीस फीसदी जर्मनी के हाथ मे थी, इस कारण भी वहा जर्मनी का प्रभाव थाअ। लेकिन एधेन्स मे यूनानी बादशाह के नेत्रित्व मे एक ब्रिटिश-शोशक दल भी था। १९ अक्टूबर '४० को इटली ने यूनान को अलटीमेटम दिया कि यूनान तमाम फोजी ओर व