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रवीन्द्रनाथ
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर-विश्व-कवि, जन्म,कलकत्ता ७ मई मन् १८६१ ई० ;
पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर और माता श्रीमती शारदादेवी की चौदहवों
सन्तान, नौ वर्ष की आयु मे कलकत्ता नार्मल स्कूल में पढने भेजे गये; स्कूल
मे शारीरिक व्यायाम और मल्लविद्या में विशेष दिलचस्पी ली; इसी
स्कूल मे पढते समय छद-रचना प्रारम्भ की, १२ वर्ष की आयु मे उपनयन-
सस्कार हुआ । उपरान्त बोलपुर के शान्ति-निकेतन भेजे गये। यहाँ आपके
पिता ने करीब ६ एकड भूमि अाश्रम बनाने के लिये ख़रीदीथी । यही पर
आपने विश्व-भारती की स्थापना की, अपनी प्रथम रचना 'पृथ्वीराज-पराजय'
लिखी, जिसकी पाडुलिपि खोगई । अपने पिताके साथ उत्तरी भारत का भ्रमण
किया, उसी समय सस्कृत और अँगरेज़ी सीखी । सन् १८७४ में कलकत्ता
के सेट जेवियर स्कूल मे भरती हुए । तभी शेक्सपियर के 'मैकबैथ' का बॅगला
मे भाषान्तर किया । इस समय आप बॅगला मासिक पत्रिकाओं मे लेख लिखते
थे तथा कई कविताएँ भी लिखी ।
जब सत्रह वर्ष के थे तब अपने भाई, सत्येद्रनाथ ठाकुर, आई० सी० एस०,
के पास अहमदाबाद गए । सत्येन्द्र ठाकुर सबसे पहले भारतीय इंडियन
सिविल सर्वेन्ट थे। अहमदाबाद से रवि बाबू योरप गये और लन्दन के यूनिवर्सिटी
कालिज मे भरती होकर अगरेजी साहित्य का अध्ययन किया । १८८० मे बिना
कोई पदवी लिए ही आप भारत वापस आगए । २० वर्ष की आयु मे आपने
अपना प्रथम गीति-नाटक वाल्मीकि प्रतिभा लिखा और उसके अभिनय मे,
वाल्मीकि की भूमिका मे, मच पर आये। तभी आपने अपना प्रथम उपन्यास
भारती लिखा । श्रीमती मृणालिनी देवी के साथ आपका विवाह हुआ। कलकत्ता
मे कांग्रेस के दूसरे वार्षिक अधिवेशन मे भाग लिया और मगलाचरण गान किया।
पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३१२
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