राजगोपालाचारी ३०१ राष्ट्रीय समाजवादी (नात्सी) दल के शक्ति-सम्पन्न होने के उपरान्त ही, साम्य- वादियो तथा अन्य विरोधी दलो का दमन करने के लिये, राइख़ताग मे आग लगाने का स्वय नात्सियो ने षड्यंत्र रचा और प्रचारित यह किया कि इस अग्निकांड का षड्यत्र कम्युनिस्टो ने, देश मे विद्रोहाग्नि भडकाने के लिये, किया है । एक डच युवक, जिसकी जेब मे कम्युनिस्ट दल के सदस्य बनाने की बही पाई गई, मौके पर पकडा गया। इसके साथ तीन बलग़ारी साम्यवादी भी, राइल के कम्युनिस्ट सदस्य, हर टार्गलर सहित, गिरफ्तार किये गये। घटना के कई महीनो बाद लीपज़िग की आला अदालत मे इन पाँचो पर मुकदमा शुरू किया गया। बलगारी कम्युनिस्ट डिमिट्राफ ने अपनी सफाई मे ऐसी ज़बरदस्त बहस की, जो काफी मशहूर होचुकी है, और जिसके आधार पर अदालत को उसे, उसके दोनो साथियो और हर टार्गलर को भी छोडना पडा । डिमिट्राफ ने सिद्ध कर दिया कि यह साजिश ख़ुद नासियो की है । डच युवक को दोषी ठहराया गया और उसे फॉसी की सज़ा देदी गई । इस अग्निकाड मे राइल के प्रधान गोरिग का हाथ बताया जाता है, जिसके घर से पार्लमेन्ट- भवन तक सुरग थी। अग्निकांड के बाद इमारत की मरम्मत नही कीगई है। राजगोपालाचारी, चक्रवर्ती-मदरास प्रान्त के काग्रेस के प्रमुख नेता तथा मदरास सरकार के भूतपूर्व प्रधान मत्री । जन्म सन् १९७६ । मदरास हाईकोट के नामी वकील रहे । सन् १६१६-२० मे, असहयोग के समय, वका- लत छोडदी । आन्दोलन मे भाग लिया और कैद हुए । उपरान्त महात्मा गान्धी के कारावास के समय उनके 'यग इडिया' पत्र का सम्पादन किया । फ्री मैसनरी थे किन्तु, १६३० के सविनय अवज्ञा आन्दोलन मे भाग लेने के कारण, उन्हे फ्रीमैसन सोसायटी ने अलग कर दिया। गान्धीजी और उनकी नीति मे राजाजी की अटल श्रद्धा थी, अतएव स्वर्गीय देशबन्धु चितरंजनदास के विरुद्ध गया की काग्रेस में अपरिवर्तनवादी असहयोगियो के आप नेता बने । सन् १६२६ क कौन्सिल-प्रवेश के समय भी आप अपरिवर्तनवादी थे । १६३७ में आपने मदरास मे कांग्रेस-मत्रि-मण्डल बनाया और कांग्रेस-दल के प्रमुख होने के कारण प्रधान-मत्री नियुक्त किये गये । आपने सबसे पहले अपने प्रान्त मे शराबबन्दी शुरू की। सन् १६३६ मे युद्ध के प्रश्न पर प्रधान-मंत्रित्व से प्राप-
पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३१५
दिखावट