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३१६ राष्ट्रीय समाजवादी

इसमें शामिल हुआ तब इसके सिर्फ ६ सदस्य थे । सातवाँ हिटलर था, जो इस दल का नेता वन गया। उसने इसका नाम बदलकर 'राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन मजदूर दल' रख दिया और कुछ दिनों ताक प्रचार करके इसे काफी बडा वना दिया । संस्थापक ड्रेक्सलर को दल से निकाल दिया गया म्युनिच, वीयना तथा कार्ल्सवाद के राष्ट्रीय समाजवदी दलो की एक विराट सभा, २४ फरवरी १९२० को, मयुनिच में हुई, किन्तु तीनो में त्तस्कार्द एकता स्थापित न होसकी । उसी वर्ष एक कार्य-क्रम प्रस्तुत किया गया जिसमें नीचे लिखे २५ उद्देश थे: -

    ( १ ) समस्त जर्मनों कों मिलाकर एक महान् जर्मन राष्ट्र बनाय जाय । ( २ ) वर्साई की सधि रद् की जाय । ( ३ ) अन्न की पैदावार के लिये भूमि तथा बढती हुई जन-सख्यऱ के लिये उपनिवेश । ( ४ ) जर्मन रक्त्तवाले जन ही राष्ट्र के नागरिक हैं, यहूदी नहीं । ( ५ ) उगे जर्मन-राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं, वे विदेशी है । ( ६ ) सरकारी पदों की नियुक्ति करने के समय दल का विचार छोडकर केवल सुयोग्य तथा चरित्रवान् ही नियुक्त किये जाये" । ( ७ ) राज्य को नागरिको की सुख-सुविधा की व्यवस्था करनी चाहिये । ( ८ ) विदेशियों र्का जर्मनी से निकाल दिया जाय, गैर-जर्मनों में जर्मनी मै न बसने दिया जाय । ( ९ ) स्वत्वो तथा कर्त्तव्यो की दृष्टि से सब नागरिक समान हैं । ( १ ० ) प्रत्येक नागरिक की सार्वजनिक हित की दृष्टि से काम करना चाहिये । ( ११ ) बिना काम किये होनेवाली आमदनी का उन्मूलन कर दिया जाय । ( १२ ) युद्ध के समय जो मुनाफा लोगों ने उठाया है, उसे जब्त कर लिया जाय । ( १३ ) कम्पनियों तथा ट्रस्टो का राष्ट्रीयकरण हो । (१४) थोक-व्यापार का लाभ विभाजित कर दिया जाय (१५) वृद्वावस्था में पेदृशन तथा सामाजिक बीमा शुरू हो । ( १६ ) छोटे-छोटे व्यापारियों की रक्षा की जाय, सरकारी सीनों के गोदाम बन्द किये जायें ( १७ ) राष्ट्रीय काम के लिये भूमि जठत की जा सके तथा भूमि-ऋण प से व्यायाज बन्द कर दी जाय । ( १८ ) राष्ट्र के विरुद्ध अपराधियों को देश निकाला दे दिया जाय, सूदखोरी और मुनाफारशेरों को मृत्यु-दण्ड दिय जाय । ( १९ ) जर्मनी में रोभन-कृदृतून की जगह जर्म-क्रानून का प्रचलदृ