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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३२४

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३१८ राहुल सांकृत्यायन पर स्थित है । बडे-बडे उद्योग धन्धो और आर्थिक-सकट से इनकी रक्षा का वचन नात्सी लोगों ने दिया था । इनकी रक्षा के लिये जो कुछ किया गया वह यह कि छोटे-छोटे धन्धे बन्द करा दिये गये और उनके मालिको को मज़दूर बनाकर कारखानों में भेज दिया गया। बडे-बडे उद्योग ज्यो-के त्यों बरकरार है। नात्सी दल मे उग्र राष्ट्रीयता तथा जातीयता का खूब प्रचार है । जर्मन अपने को आर्य जाति मानते हैं । दल के प्रत्येक सदस्य को प्रमाणित करना पडता है कि उसके वश मे सन् १८०० से अबतक कोई पूर्वज यहूदी नहीं था। "यहूदियों से उत्पन्न" और गैर-जर्मन बताकर ईसाइयत का भी वहाँ अपमान किया जाता है । उसके स्थान मे पुरातन ट्य टोनिक देवताओं की पूजा भले ही कोई जर्मन करे । दल का सगठन फौजी ढग से क्यिा गया है, मानवता तथा प्रजातत्र का मजाक उड़ाया जाता है और भौतिक बल, रक्तपात और युद्ध की प्रशसा की जाती है । सक्षेपतः दल का कार्यक्रम हिटलर की लिखी हुई ससार-प्रसिद्ध पुस्तक Mein Kampf ('माईन काम्फ'--'मेरा सघर्ष' ) पुस्तक में वर्णित कार्यक्रम के आधार पर है। हिटलर के सहयोगी नेताओ मे गोरिंग, गोवल्स, फ्रिक, रोजनबर्ग, ले, रिवनट्राप, हिमलर और स्ट्रैशर उल्लेखनीय हैं | सन् १६३३ से पूर्व यह सभी गरीबी की दशा मे दिन काटते थे, परन्तु आज वह जर्मनी के भाग्य-विधाता है और करोडो की सम्पत्ति के स्वामी । राहुल सांकृत्यायन-महापडित, त्रिपिटकाचार्य, जन्मभूमि विहार, अवस्था ४५ वर्ष, साम्यवादी विद्वान् लेखक, नेता तथा बिहारी किसान- आन्दोलन के सचालक, बौद्व प्रचारक, बाल्यकाल का नाम दामोदर । तिब्बत, लका आदि स्थानों मे अध्यवसायपूर्वक अनेक ग्रन्थो का अन्वेषण किया । ईरान, तिब्बत, रूस आदि की यात्रा की। चीनी, अरबी, फारसी, सस्कृत, तिब्बती, हिन्दी, पाली एव प्राकृत भाषाओं के पंडित । आपने हिन्दी तथा पाली भाषा मे अनेक बौद्ध तथा साम्यवादी ग्रन्थो की रचना की है, जिनमे से निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं-साम्यवाद ही क्यों, तिब्बत मे सवा वर्ष, विनयपिटक, अभिधर्म कोष, वादन्याय, सोवियत् रूस आदि । रूस मे रहते समय राहुलजी ने वहाँ की एक महिला को अपनी जीवन-सगिनी बनाया था ।