पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३३४

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३२८ लंका ससार पर विजय प्राप्त करनी चाहिये । गेजनवर्ग के अनुसार अाधुनिक इतिहास को दोषपूर्ण रूप से दुहराया जा रहा है । १७८६ की फ्रान्सीसी राजक्रान्ति में वह यह दोष पाता है कि उसके द्वारा नाडिक कुलीन वश का ह्रास होकर निम्नकोटि के जन-समाज के हाथ में सत्ता प्रागई । ऐसे ही जन-समाज ने उदारतावाद को प्रश्रय दिया । यह उदारतावाद माक्र्सवाद के रूप में विक्सित हुशा, जिसने रूस मे राजक्रान्ति कराई। वर्तमान जर्मनी को इन विचारधाराओं का निराकरण करना चाहिये । चैक, पोल, रूसी तथा अन्य स्लाई जातियॉ निम्नकोटि की हैं, उनका कोई स्वतन्त्र अस्तित्त्व नहीं रहना चाहिये, उन सबको जर्मनी के ताने होना चाहिये । रोज़नबर्ग ईसाइयत का भी विरोध करता है और उसके स्थान में, अपने रहस्यवाद की स्थापना चाहता है । उसने नात्सियों को गिरजाघरों का विरोधी बना दिया है। वह एक प्रसिद्ध जर्मन पत्र का प्रधान सम्पादक है । नात्सी दल में उसे सर्वोच्च पद प्राप्त है । | लंका--भारत के दक्षिण मे एक द्वीप, जनसख्या ५५ लाख; इस समय ब्रिटिश उपनिवेश, किन्तु जिसे औपनिवेशिक स्वराज्य प्राप्त नहीं है। रामायणकाल का प्रसिद्ध राजा रावण इसी देश का शासक था। उसी समय से भारत तथा लका का परस्पर संबध रहा है। परन्तु भारत और लका को आधुनिक सबध एक शताब्दी से है । इस देश को सिहल द्वीप भी कहा जाता है और यहाँ के निवासी सिंहलवासी कहलाते हैं । ईसा से पूर्व बंगाल का राजकुमार विजय लंका गया और उसने वहॉ सिंहल वश की बुनियाद डाली । ईसा से २०० वर्ष पूर्व लका में बौद्ध-धर्म का प्रचार हुआ । १८वीं सदी में अँगरेज़ों ने इस