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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३४१

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लार्ड-सभा ३३५ अनेक पुस्तके अँगरेज़ी-उर्दू मे उन्होंने लिखी हैं । आप जैसे प्रोजस्वी लेखक ये वैसे ही प्रभावशाली वक्ता भी । भारत-निर्मातायो मे उनका प्रमुख स्थान है। लायड जार्ज, राइट आनरेवल डेविड-ब्रिटिश राजनीतिन तथा भूत- पूर्व प्रधान-मत्री, १७ जनवरी सन् १८६३ को जन्म हुया, १८८४ मे सोलिसि- टर बने ; १८६० मे पार्लमेट के सदस्य चुने गये और तब से वह बराबर उमी जगह पर सदस्य है । १६०५-१६०८ तक व्यापार-बोर्ड के प्रधान, १६०८- १६१५ तक अर्थमंत्री; १६१५ मे अस्त्र-शस्त्र-विभाग के मत्री और युद्ध-मंत्री रहे और १६१६ मे प्रधान-मत्री हुए। १६२२ तक बराबर प्रधान मत्री रहे । विगत युद्ध मे ब्रिटेन की विजय का बहुत अधिक श्रेय इन्हीको है । आप कहा करते थे, 'जर्मनी छोटी-मोटी लडाइयाँ जीतता है, मैं महायुद्ध विजेता हूँ।' आयर्लेन्ड के स्वतन्त्रता-आन्दोलन के समय, पहले इन्होने खूब दमन किया, पीछे समझौता करना पडा । १६२२ मे, राष्ट्रीय सरकार और लिबरल दल के पतन के समय, इनका भी पतन होगया । १६३१ मे लायड जार्ज ने लिबरल दल का परित्याग करके स्वतन्त्र लिबरल दल खडा किया, किंतु सन् १६३५ मे वह फिर लिबरल-दल मे मिल गए । १६३७-३८मे सरकार की सन्तोषीकरण- नीति की इन्होंने निन्दा की । १६३६ मे वह कहने लगे कि लडाई जीतने के लिये इंगलैंड की कृषि की उन्नति करनी चाहिये। वहाँ के अन्य राजनीतिजों ने ते सफल युद-प्रयत्न की गलोचना समका । १६४० मे उन्होंने । चेम्बरलेन-सरकार के पांत नुस-प्रयत्न की वालोचना की। लाई-सभा-निटिश पार्लमेन्ट जी दृनदी धागमभा, उन यो ला । इसमें कुल सदस्य ७४० है । पर मिली मी अधिवेशन में ५० है अधिक सदस्य शायद ही की उस्थित होने हो । पहले रम्भा यामा Primaryimom