उपलद मे त्र्प्रापको 'सरदार'की उपाधि से विभूपित किया गाया|सन् २६३२ के तूफानी युग मे त्र्प्रापको कराची काग्रेस का प्रधान बनाया गया |
गान्धीजी के गोलमेज कान्फरेन्स से वापस लौटते ही फिर दमन चल पडा|सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुजरात का दौरा क्र्र्के किसानो का सगठन किया|दमन त्र्प्रौर त्र्प्रत्याचार के कारए गुजरात के किमान बठोदा त्र्प्रादि रियासतो मे हिजरत कर गये |सरदार इन दिनों, एक साल के भीतर-तीन बार गिरफ्तार किये गये | स्वास्थ्य ग्वराब हो जाने के कारए ,सन १६३४ मे,त्र्प्रापको रिहा किया गया। इसके बाद ही काग्रेस पार्लमेन्टरी बोर्ड का भार त्र्पाप पर डाल दिया गया।त्र्पापको चुनावो को सफल बनाया त्र्पौर त्र्पाठ प्रान्तो के काग्रेस मन्त्रिमएड्लो का नियन्त्रग किया।त्र्पाप बड़े कठोर त्र्पनुशासन-शील सेनापति है,इसलीये पार्लमेन्टऱी बोर्ड के युग मे त्र्पापने कडे हाथ से काग्रेस की त्र्पान्तरिक शुध्दि की।गान्धीजी,देश का भार उठाते हुए भी,बड़े ह्ँसमुख त्र्पौर विनोद-प्रिय है।किन्तु सरदार को त्र्पाजनक किसी ने मुसकाते नही देखा।सरदार विरोधी को क्षमा करना जानते ही नही,भले ही वह सगा भाई हो। त्र्पगस्त १६४२ मे त्र्पाप भी पकड़ लिये गये है।
वाइसराय की कार्यकारिणी परिपद्-सन् १६१६ के भारतीय शासन विधान के त्र्पनुसार त्र्पाज भी भारत की केन्द्रिय सरकार का सचालन होरहा है,यग्यापि त्र्पप्रैल सन २६३७ से भारत के प्रानतो मे सन १६३७ से भारत के परान्तो मे , सन् १६३५ के गवर्नमेट त्र्पाफ इन्डिया ऐकट के त्र्पनुसार,प्रान्तीय विधान स्थापित होकर निर्वाचित प्रतिनिधियो दारा शासन सचालन त्र्पारम्भ हुआ,किन्तु नवंबर १६३६ से सयुक्त-प्रान्त,मध्य प्रान्त,मुंबई,मदरास,बिहार ,उडीसा,सीमाप्रान्त तथा त्र्पासाम मे,काग्रेस मत्रि मएडलो के त्यागपत्र दे देने से,वैधानिक-सकट उप स्थित हो गया है। इन प्रान्तो मे तब से गवर्नरी शासन चालू है।
वाइसराय की कार्यकारिएगी-परिषद मे
पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३५२
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