पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३५६

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की हैसियत से, प. जवाहरलाल नेहरू के अभिभापए मे यह मॅाग पेश की गई कि भारत मे विधान-निर्मात्री-परिषद् द्वारा शासन-विधान बनाते का अधिकार स्वीकार किया जाय। तब से कांग्रेस अपने प्रस्तावो मे बराबर इस मॅाग पर जोर देती आ रही है कि वयस्क मताविकार के आघार पर निर्वाचित विधान-परिषद् द्वारा भारतीयों को शासन-विधान बनाने का अधिकार हो। इसका तात्पर्य यह कि राजनीतिक सत्ता ब्रिटिश जनता मे निहित न होकर भारतीय जनता मे निहित होनी चाहिये। ब्रिटिश सरकार ने इस मॅाग को स्वीकार नही किया है। विधानवाट -- शासको की 'उदारता' पर आश्रित रहकर देश की क्रमिक राजनीतिक प्रगति की निष्क्रिय वाञ्छा अथवा भारत मे उसके विधान के अन्तर्गत वैध आन्दोलन तथा विधान को कार्यान्वित करे