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अल्लामा मशरिक़ी
 


हुआ तो इस प्रदेश की जनता में अपूर्व जागृति पैदा हो गई। जर्मन-अधिकारियो ने जनता से दमन-चक्र चलाया। २०,००० से अधिक नागरिक अल्सेस-लारेन से निर्वासित कर दिए गए। वर्साई की सधि के अनुसार यह प्रदेश पुनः फ्रांस को मिल गया। नवम्बर सन् १९१८ में फ्रांसीसी सेनाओं ने, उपर्युक्त संधि के अनुसार, इस प्रदेश में प्रवेश किया।

अल्सेस मे प्रायः सभी जर्मन भाषा बोलते हैं, लारेन मे ७० फीसदी जनता जर्मन तथा ३० फीसदी जनता फ्रांसीसी भाषा का प्रयोग करती है। दोनों मे कुल मिलाकर १५,००,००० जर्मन भाषा बोलते हैं। स्थानीय समाचार-पत्रों की भाषा जर्मन है। जर्मन भाषा में ही साहित्य की रचना हो रही है। स्थानिक बोली तथा फ्रांसीसी भाषा में भी साहित्य तैयार हो रहा है। सरकारी दफ्तरो, न्यायालयो तथा स्कूलो में जर्मन भाषा प्रयोग की जाती है। फ्रांसीसी भाषा के साथ जर्मन भाषा का भी प्रयोग किया जाता है। सरकारी घोषणाएँ दोनो भाषाओं में की जाती हैं।

इस प्रदेश का सामरिक महत्व है। इसमे लोहा तथा सज्जी खार (Potash) अधिक मिलता है। इसीके निकट फ्रेंच मेजिनो लाइन किलेबन्दी थी, जिसे फ्रांस अटूट समझता था, और जिसे जर्मनो ने तहस-नहस कर डाला।

वर्त्तमान यूरोपीय युद्ध मे, जून १९४० मे, फ्रांस के जर्मनी द्वारा पराजित होने के बाद, अल्सेस लारेन तथा फ्रांस के उत्तरी विशाल प्रदेश पर जर्मनी का सामरिक अधिकार हो गया है।


अल्लामा 'मशरिक़ी'––भारत में ख़ाकसार-आन्दोलन के जन्मदाता। नाम इनायतुल्ला खाँ। 'मशरिक़ी' उपनाम और अल्लामा (धार्मिक विद्वान्)