३६० शरतचन्द्र बोस और असितट्र्या से निकाले गये, जिनमे ३ लाख यहूदी, तीस हज़ार 'श्रानाय्र' ईसाई और मे समाजवादी ,साभ्यवादी, प्रजात्त्र्वादी, राज्सत्तावादी, और कैथलिक ईसाई है । माच्र १६३६ मे जार्मनी द्वरा चैकोस्लोवाकिया के अपहरण के समय २५००० व्यक्ति देश छोद्कर पशिच्मी योरप और अमरिका मे जाबसे । राष्ट्र्स्घ की श्रौर से शररागतो की लिये एक हाई कमिश्नर लन्दन मे रह्ता है । स्पेन के ग्रुह-युध्द की समाति पर ३॥ लाख स्पेनियो को जब देश छोड्ना पडा, तो, कुछ को छोढ्कर , जो मोकिसको मे जा बसे, इन्का वोब्क फ्रान्स पर पडा । किन्तु १६४० मे फ्रान्स ने उन्हे श्रपने यहा से निकालना श्रार्म्भ कर दिया ।सितम्बर १६३६ मे जर्मनी द्वरा पोलेऍड के पराजित होने पर वहा के ५० हजार शररागत श्रन्य देशो मे चले गये ।पोल अर्नाथ भारत मे लाकर रखे गये है । जर्मनी द्वरा योरप के श्रन्य प्रन्क देशो के पददलित होने पर भारी सख्य मे उन देशो के लोगो को बाहर निकलना पडा । चीन मे जापानी अश्र्मरा के कारण करोडो व्यक्ति वेघ्ररवार होगये है । शरत्चन्द्र बोस- बगाल मे काग्रेस असेम्वलि पाट्री के नेता, कल्कत के प्रसिध बैरिस्टर, सुभाष बाबू के बडे भाई । सन्न १६३४ मे जब वह बगाल सरकार के नजरबन्द राज्बन्दी थे , तब जैल से ही केनिद्रिय असेम्बली के सदस्य चुने गये, किन्तु उन्हे श्रधिवेशनो मे भाग लेने की नही मिली । सन १६३७ मे वगाल प्रान्तीय धारा-सभा के सदस्य चुने गये । तब से बराबर असेम्बली मे काग्रेस-दल का नेतुत्व किया। सेन १६४० मे मौलाना अबुल कलाम आजाद ने उनके विरुध्द अनुशासन की कारारवाई की और उन्हे काग्रेस से अलग कर दिया तथा उन्हे आदेश दिया गया कि वह काग्रेसाउर असेमबली की सदस्यता दे दे । शरत बाबू ने अनुशासन की कार्य्
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