पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३८२

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नहीं हैं । वे अपना श्रम बेचकर ही अपना भरण-पोष्ट करते हैं । इसमें बौद्धिक तथा शारीरिक श्रम करने वाले दोनों ही प्राकार के श्रमिक शामिल हैं सरोजिनी नायडू, बीमती-कांग्रेस की सुप्रसिद्ध लेनाय९कत्नि, जन्य १८७९ ई०, हैदराबाद तथा लदन में शिक्षा प्रात की । जा ० एभ० जी० नायडू के साथ, १८९८ गे, विवाह किया । दो पुत्र तथा दो पुत्रियों है । काव्य से इन्हें क्या अनुराग रहा । अँगरेजी में कई काव्य-ग्रथ लिखे ग्र १ ९१९ में शासन-सुधार कमिटी के सामने गवाही दी । १९ १ ९ में अर्न्सराष्ट्रपैय महिला मताधिकार परिषद् जिनेवा (स्थिटुड्डारतैण्ड) में सम्मिलित हुई और वहाँ भाषण दिया । भारत की प्रतिनिधि की हैसियत से काग्रेस द्वारा दक्षिण अफीका भेजी उप्रावमाईष्णुनिसिपलकारपोरेशन की सदत्यारहीं हें औरवम्बई प्रांतीय काग्रेस कमिटी की अध्यक्षा भी । १ ९२२ गे अखिल-भारतीय काप्रेसकमिटी की सदस्या और सत् १९२५ में भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस के कज्जल-अधिवेशन की राष्ट्र- नेतृ चुनीगदें । नमक-सत्याग्रह, है ९३ ० , में अपने वदनै बीरताकैपूर्बक भाग लिया और धरासना में नमक गोदाम पर सत्याग्रह किया । श्रीमती सरोजिनी देवी उच्चकोटि की क्रवियित्री हैं । विदेशों मे भी उनकी कविता का समुचित आदर हुआ है । आपकी अँगरेजी और उर्दू भाषण-शेली भी कवित्त्वपूर्ण और कलापूर्ण है । अँगरेजी, वेंगला, फारसी, उर्दू पर आपका समानरूप से अधिकार है । गाधीजी के सम्पर्क ने आपके कवित्त्वमय जीवन में सत्य और शिव का सम्मेलन कर दिया है । काग्रेस कार्यकारिणी की सदस्या होने के कारण, भारत छोडी' प्रस्ताव के बाद अगस्त १९४२ में, आपको पकड़लिया गया था, किंतु बीमार होजाने के कारण मार्च १९४३ मे आपको रिहा कर दिया गया शू सविनय अवज्ञा-, सत्याग्रह का एक स्वरूप है । उद्देश विशेष की