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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३८३

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सिद्धि के लिये शासन के अनैतिक कानूनों को शान्तिपूर्वक भग करना तथा फल- स्वरूप जो दंड दिया जाय उसे सहर्ष स्वीकार करना इसका तात्पर्य है सहकारिता दल…सन् १ ९ १८ में, पार्शरेंटख्या स्थानीय शासन में प्रत्यक्ष सहकारी प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के उद्देश से,बिटिश सहकारिता आन्दोलन द्वारा, इस दल की स्थापना कीगई । सहकारी संस्थाओं के २४ लाख अर्थात् कुल सहकारी आन्दोलन के सदस्यों की अर्द्धसंरुया, इस दल के सदस्य हैं । १९२७ में इस दल ने ब्रिटेन के मज़कू दल से समझौता विषा । बसे पासीष्टि कीमकृकू सीटों में से कछ जगहें इस दल के प्रामतेनिधियों के लिये सुरक्षित राजी है संघवाद ( सिन्डीकेलिज्य )-यह समाजवाद का एक स्वरूप है प्रदृट्वेंसीसी भाषा में सिंन्दीकेट का प्रयोग 'मङ्कवृदृदु-सघ' के अर्थ में किया जाता है । यह एक कान्तिकारी आन्दोलन है जिसका ध्येय माथा संधों को सामा… लिक कान्ति तथा भावी समाज-रचना का आधार बनाना है । सघवादी मज़दूसुंदल को एक राजनीतिक दल के रूप में सगठित कर पार्तमेट में प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं । वह विनानवाद के खिलाफ हैं । सत्ताधारी वर्ग के विरुद्ध मड़ादूरों के 'सीधे' तथा औद्योगिक कार्य के पक्ष में हैं । हड़ताल उनका प्रमुख अस्त्र है 1 उनके अनुसार हड़तालों को सार्वजनिक हड़ताल का रूप देना चाहिये । इसीसे अन्त में कान्ति होगी । कान्ति के बाद मज़दूर संब को ( भाड़र्त के अनुदार राज्य को ) कारखानों पर अपना अधिकार जमा कर उन्हें समाजवादी सिद्धान्ती के आधार पर चलाना चाहिये । इसमें भौगोलिक इकाई का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा प्रत्युत् समाज की सरुथाएँ मज़दूपुचंघो के प्रतिनिधियों द्वारा चलाई जायेंगी बीसवीं शताब्दि के आरोंरेभक युग ये, विश्व-युद्ध से पूर्व, कान्त, स्पेन, जर्मनी, इटली, बिल्ले, आदि देशों में इस आन्दोलन ने अच्छी प्रगति की; परन्तु बाद में यह मन्द पड़ गया-म । संघवाद व्यराजववाद, मार्क्सवाद तथा मज़दूपुसंघवाद का सांभीश्रण है संघीय न्यायालसं-सन् १ ९ ३ ५ के भारतीय शासन-विधान की धारा२ ० ० २ ० ३के अनुसार भारतमे १अवटूवर सन्१ ९ ३ भी से सधीय न्यायालय (ड्डदृ'आंअहां (court of India) को स्थापना कीगई । विधान के अनुसार संघीय न्याया-