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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३९०

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अमरीका के प्रशान्त महासागरीय इलाक़े पर हमला कर दिया और ११ दिसम्बर १६४१ को जर्मनी और इटली ने अमरीका के विरोध्द युध्द-घोषणा करदी । तब अमरीका का मित्रदल से सम्बन्ध और निकट होगया ।

योरप के अतिरिक्त अमरीका का रजनीतिक और आथिंक स्वार्थ दक्षिणी अमरीका और सुदूरपूव् के देशा, विशेष्कर चीन, में है । अमरीका ने करी-बियन सागर मे सामरिक महत्तव के अड्ड ब्रिटेन से प्राम किये है और पनामा नहर पर भी उसका सरक्षणा है । वह पस्चिमी गोलार्ध्द की सभी अमरीकी रिया-सतो की एकता के लिये प्रयत्न्शील है । दक्षिणा अमरीका में भी सयुक्त-राज्य का बहुत-सा धन व्यापार में लगा हुआ है । दक्षिणा अमरीका रियासते इसे 'उत्तरी अमरीका का साम्राज्यवाद' कहकर उसकी निन्दा करती है । सुदूरपूर्ण में अमरीका और जापान का द्वेष पुराना है । लढाई में शामिल होने से ही अमरीका च्याग काई-शेक की चीन की सहयता कर रहा है और अब तो अमरीका चीन को अपना सहयोगी मानता है । अमरीका रूस की भी सहयता कर रहा है । तुर्की को बी उसने उधार-पट्टा आधार पर सहयता देने को कहा है । अमरीकी और ब्रिटेन का निकट सम्बन्ध होने के कई विशेष कारणा है : दोनों की भाषा एक है, दोनो के आचार-व्यवहार, रीति-रिवाज एक है, राजनीतिक जीवन सम्बन्धी विचारछष्टि एक है । सभ्यता एक है, जाति भी, पूरी नहीं तो आधी, एक है । यही कारणा है कि १६४० से यह विचार-धारा भी चल पडी है कि सयुक्त-राज्य अमरीका और ब्रिटिश राष्ट्रसमूह (सम्राज्य) का एक सघ स्थापित होना चाहिये ।

स्मट्स, फीम्डमार्शल जान त्रिरिचयन- दक्षिणा अफ्रीकी यूनियन के प्रधान-मंत्री ; सन १५७० में , एक साधारणा किसान-परिवार में जन्मे , खेतो पर मजदूरी की ; दक्षिणा अफ्रीकी युध्द में अँगरेज़ों से लडे । सन १६०२ में बोअर-सधि-सभ्य-मण्डल में प्रिटोरिया में शामिल थे । बोअरो और ऑगरेजो में मेल