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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३९८

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३६४ सावरकर नासिक षड्यन्त्र के अभियोग में, इंगलैंट मे, गिरफ्तार किया गया । जब उन्हें जहाज द्वारा भारत लाया जा रहा था, तब फ्रास के निकट, १६१० ई० में, वह जहाज के छेद मे से समुद्र में निकल कर भाग गये और कितने ही मील तैरकर किनारे लगे । उन्हें मारसेई में गिरफ्तार किया गया। इस पर प्रश्न उठ खड़ा हुया कि फ्रास की सीमा पर पकडे गये ब्रिटिश नागरिक को फ्रास ब्रिटेन के सुपुर्द करे या नहीं । निर्णय के लिये मामला अन्तर्राष्ट्रीय स्थायी न्यायालय के सामने भेजा गया । परिणामतः ब्रिटेन के सुपुर्द कर दिये गये। ४० वर्ष की केंद की सजादी गई। सन् १९११ से १६२४ तक कालेपानी में रहे। अन्डमान मे पूरे चौदह वर्ष पोर्ट ब्लेयर जेल की एक कोठरी में बिताये, जिसके द्वार पर दिनरात ताला बन्द रहता था। कालेपानी भेजे जानेवाले भयकर अपराधियों को भी अधिक-से-अधिक पॉच साल बाद जेल से निकाल कर बाहर कर दिया जाता था, किन्तु आपको एक दिन भी बाहर नहीं किया गया । सन् १६२४ मे वह रिहा हुए, किन्तु रत्नगिरि मे नज़रबन्द कर दिए गये, और इस तरह बराबर १६३६ तक नजरबन्द रहे । प्रत्येक दो वर्ष बाद नज़रबन्दी की अवधि बटाई जाती रही । छूटते ही आपने हिन्दू महासभा को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और १६३७ से हिन्दू महा- सभा के अध्यक्ष चुने जाते रहे हैं। महासभा के वह सबसे प्रभावशाली नेता हैं । सन् १९३६ मे निजाम हैदराबाद मे सत्याग्रह-आन्दोलन का सचालन आपकी प्रेरणा और हिन्दूसभा की ओर से किया गया, जिसमे महासभा विजयी हुई। आपने विशाल हिन्दू-राष्ट्र मे जीवन और जागरण तथा सामूहिक चेतना का विकास किया है । वीर सावरकर एक प्रभावशाली सङ्ग- summerne COM h-11 funnati HOM THAN N,