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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४०५

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सिगापुर ४०५ सिख-हिन्दू-समाज के अन्तर्गत, सामाजिक और धार्मिक सुधार के प्रश्न को लेकर, आजपर्यन्त अनेक सुधार-आन्दोलन हुए. किन्तु यह सभी आन्दो- लन समूचे हिन्दू-समाज मे क्रान्तिकारी परिवर्तन करने की अपेक्षा नये-नये सम्प्रदायो के प्रतीक बनकर रह गए । श्रीगुरु नानक देव अपने युग मे हिन्दू- समाज के अन्तर्गत एक प्रमुख सुधारक हुए। उन्होने एकेश्वरवाद, रूढ़िगत वण- व्यवस्था के उन्मूलन और जीवन मे धर्ममय अाचार के सामञ्जस्य पर बल देते हुए हिन्दू-राष्ट्र की सामाजिक एकता की आधार-शिला प्रतिष्ठापित करने का प्रयास किया। किन्तु उनको विचारधारा का प्रतीक सिख सम्प्रदाय बन गया। आरम्भ मे सिख पन्थ एक अव्यात्मवादी शान्तिप्रिय सम्प्रदाय था । कितु बाद के सिख गुरुत्रो ने, जिनमे श्रीगुरुगोविन्दसिहजी मुख्य हैं, इस पथ को युग के अनुकूल जामा पहनाया और हिदू-राष्ट्र के अन्तर्गत साम्राज्यवाद- विरोधी और देश की स्वाधीनता के लिये बलिदान होने को तत्पर रहनेवाले राष्ट्र-रक्षक समूह की स्थापना, सिख पन्थ मे नवीन सुधारों द्वारा, की । भारत मे सिखो की सबसे अधिक आबादी पजाब प्रान्त मे है । किन्तु पंजाब मे भी वह अल्पसंख्यक जाति है । सिख एक वीर सैनिक सम्प्रदाय है, जो हिंदू-समाज के अंतर्गत होते हुए भी राजनीतिक रूप मे उससे पृथक् करदी गई है। सिखो का हिंदू-समाज से प्रथक्करण एक दुःखप्रद घटना है । सिगापुर-ब्रिटेन के पूर्व- बर्मा HO देशीय स्ट्रेट्स सैटलमेण्ट उपनिवेश 3 ब्रिटिश का अंग तथा बरतानवी सुदूरपूर्वीय विदिश प्रभा साम्राज्य का एक महत्त्वपूर्ण नाविक और व्यापारिक अड्डा, जो चीन- दक्षिण चीन सागर से लेकर हिन्द महासागर तक का संरक्षण करता है । विपुल- धन-राशि व्यय करके संसार के महान् नाविक अड्डो की भॉति इसे आधुनिकतम रूप मे बढ़ाया गया था। १६३८ मे यह इस रूप में बनकर सन्न सागर andu सागर Mammer मलाया "मल का जल Ansunny