पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४११

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४०६ सुभापचंद्र बोस नियुक्त हुए । गिरफ्तार किये गये और ६ मास की कैद की सज़ा दीगई । १६२२ मे लौटकर बाढ-पीड़ित ग्रामीणों की सेवा मे लग पडे | उप- रान्त अँगरेज़ी दैनिक 'फारवर्ड' के प्रधान सम्पादक हुए । सन् १६२४ में कलकत्ता कारपोरेशन के सदस्य चुने गये। इसी वर्ष कारपोरेशन के प्रधान अफसर ( चीफ ऐकज़िक्युटिव ग्राफिसर ) नियुक्त कियेगये । १८१८ के बगाल रेग्युलेशन के अन्तर्गत गिरफ्तार किये जाकर माडले में नज़रबंद करके रखे गये । यहाँ सुभाष बाबू का स्वास्थ्य बहुत खराब होगया, उनका वज़न ४० पौड कम होगया, और क्षय के लक्षण दिखाई पडने लगे। १६२७ मे उनकी अवस्था चिंतनीय होगई । सरकार ने कहा कि श्री बोस चिकित्सा के लिये भारत न जाकर सीधे जाना चाहें तो उनको योरप भेजा जा सकता है, किंतु आपने इस शर्त को स्वीकार नहीं किया । आपने जेल से लिखा कि मैने अपने को भगवान के आश्रित छोड दिया है, मै राष्ट्र को भुला नहीं सकता। देश मे अान्दोलन हुया और १५ मई १६२७ को उन्हें रिहा कर दिया गया। छूटकर याने पर आपको बंगाल कौसिल का सदस्य चुना गया और बगाल प्रातीय काग्रेस कमिटी का प्रधान भी। १६२८ मे गिरफ्तार किये गये, किंतु ज़मानत पर रिहा हुए और उस वर्ष के कलकत्ता काग्रेस अधिवेशन में आप वालन्टियर सेना के प्रधान नायक बनाये गये। बाद मे श्रापको कैद की सज़ा मिली । १६२६ की काग्रेस के बाद कार्यकारिणी की नियुक्ति के समय आप असतुष्ट रहे और स्वर्गीय श्री सत्यमूर्ति, डा० अालम आदि के साथ अापने काग्रेस डिमोक्रेटिक दल की स्थापना की, किंतु यह दल नगण्य रहा । सन् १६३० मे भद्र अवज्ञा आन्दोलन छिड़ने तक आपको दो बार गिरफ्तार किया गया और कैद की सजा दीगई। गाधी-इरविन-समझौते के अनुसार रिहा हुए । १६३२ मे पकडे जाकर नजरबद कर दिये गये । आपका स्वास्थ्य जेल मे एक- दम गिर गया। छूटे और वीयना इलाज के लिये गये, यही श्री विठ्ठलभाई पटेल अपना इलाज करा रहे थे । प्रेसिडेट पटेल और सुभाष बाबू ने बीमारी की अवस्था में, भारत-सबधी काफी प्रचार योरप मे किया । गाधीजी ने जब भद्र अवज्ञा आन्दोलन स्थगित किया तो पटेल और सुभाष ने अपनी उग्र असह- मति प्रकट की। पिता की बीमारी के कारण आप भारत आये, किंतु जल्द