पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४१४

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स्पेन का गृह-युद्ध तत्रवादी सरकार बनाई, जिसमें समाजवादी और साम्यवादी मंत्री नियुक्त नहीं किये गए । सरकार ने कुछ सामाजिक तथा भूमि-सबंधी सुधार किये, जिनसे बडे ज़मीदारो तथा दकियानूस-दल और दक्षिण-पंथियो मे असन्तोष उत्पन्न होगया । फलतः १८ जुलाई १६३६ को जनरल फ्रांको ने भू-सेनाको पूरी और नौसेना की अांशिक सहायता से विद्रोह कर दिया। जमनी तथा इटली ने फ्राको को भडकाया, क्योकि वह योरप में संयुक्त मोर्चा (पापुलर फ्रन्ट) के सगठन को पनपता हुया नहीं देखना चाहते थे, और चाहते थे कि स्पेन धुरी राष्ट्रो के साथ रहे । यह विद्रोह गृह-युद्ध के रूप में बदल गया, जो तीन साल तक चलता रहा । मार्च १६३६ में फ्रांको की विजय हुई । तब से स्पेन सैनिक अधिनायकतत्र के अधीन है और जनरल फ्रांको वहाँ का अधिनायक है। फेलेज वहाँ का अकेला दल है, जिसका प्रधान भी फ्राको है। स्पेन का गृह-युद्ध, १६३६-३६-१८ जुलाई १६३६ को स्पेनी मरको मे जनरल फांको ने स्पेन की प्रजातत्र सरकार के विरुद्ध विद्रोह शुरू किया। उसके दूसरे दिन स्पेन की समस्त सेनाएँ विद्रोहियो से मिल गई। उन्होंने उत्तर-पश्चिमी तथा दक्षिणी स्पेन मे शासन-सत्ता हस्तगत कर ली । उत्तरी तथा पूर्वी स्पेन मे सैनिक-विद्रोह पापुलर फ्रन्ट सरकार द्वारा दबा दिया गया और किसान-मजदूरो ने केन्द्रिय, उत्तरी और पूर्वी स्पेन मे, मेडिड, बारसीलोना और बिलवानो मे विजय प्रात की। सरकार ने नागरिक अनिवाय सेना बनाई और फ्रास की पापुलर फ्रन्ट सरकार से हथियार तथा युद्ध-सामग्री मॉगी, किंतु फ्रांस ने इनकार कर दिया और वह तटस्थ रहा । इटली तथा जर्मनी ने स्पेन के विद्रोहियो की युद्ध-सामग्री में मदद की । प्रजातनी मेना के पास फ़ौजी-लवाजमे की कमी थी, इसलिये काको ने उन्हे पोछे वदेह दिया और मेड्रिड को २६ साल तक धेरे पड़ा रहा। पीछे क्रास ने गैर-मरकारी तौर पर कुछ सहायता भेजी । १६३७ मे दोनो ओर नई तैयारियाँ हुई । ल्स की सरकार ने स्पेन को प्रजातनवादी सरकार को युद्ध-सामग्री ननी । इटलीने एक लाल सेना सेन में विद्रोहियों की मदद के लिये भेजी तथा मनी ने नारे, दवाई- जहाज, टंक तथा मैनिक भेजे । ल्स ने भी प्रजातनवादियां का टैंक, आई जगह तथा सेना भेजी। कालो को उनके मददगारो ने जल्द और ज्यादा नादाद