पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४१७

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४१२ सोवियत संघ १६०५ की रूसी राज्य-क्रान्ति के समय मजदूरो ने सोवियत नामक सत्याएँ स्थापित की। सन् १९१७ की राज्य-क्रान्ति में उनका पुनसंगठन किया गया । साम्यवादी क्रान्ति की वह अाधारभूत सस्थाएँ बन गई और जब कान्ति समाप्त होगई तो रूसी शासन-विधान उन्हीके अाधार पर बना । सन् १६३६ के परिवर्तित शासन-विधान द्वारा उनकी मगठन-प्रणाली में सुधार कर दिया गया । प्रारम्भिक सोवियत प्रणाली में, जनता का प्रत्यक्ष सहयोग रहने के विचार से, व्यवस्थापक और शासन सत्ता सयुक्त थी । उच्च सोवियतो का अप्रत्यक्ष चुनाव होता था तथा स्थानीय एव राज्य के प्रबन्ध में साम्य था। सोवियत संघ-पूरा नाम समाजवादी सोवियत प्रजातन्त्र सघ (Union of Socialist Soviet Republics); क्षेत्र० ८२,२७,००० वर्ग०, जन १६,३०,००,००० । सोवियत संघ का इतिहास साम्यवादी क्रान्ति, लेनिन तथा स्तालिन के प्रयत्नों और कार्यो का इतिहास है । १६१७ की कम्युनिस्ट- क्रान्ति के बाद 'रूसी समाजवादी पचायती प्रजातन्त्र सघ' (Russian Socialist Federative Soviet Republic) की स्थापना हुई। १६२३ मे यूक्रेन तथा सीमाप्रान्त की अन्य पचायते इसमे शामिल कीगई और रूस का शासन-विधान बनाया गया जिसमे मज़दूरो को सत्ता को प्रमुख स्थान दिया गया । शासन-प्रबन्ध की आधारभूत सस्थाएं सोवियते अर्थात् कौंसिले या पचायते थी, जो म्युनिसिपैलिटी ग्रादि स्थानीय शासन-प्रबध के साथ-साथ राज्य के शासन-प्रबध मे भाग लेती थीं। छोटी सोवियते बड़ी (ज़िला, प्रान्तीय और देशिक ) सोवियतो का, अप्रत्यक्ष ढग से, चुनाव करती थी। अखिल-रूसी सोवियत काग्रेस का चुनाव, छोटी सोवियतो द्वारा प्रत्येक २५,००० मज़दूरो की ओर से एक प्रतिनिधि तथा प्रत्येक सवालाख किसानो की अोरसे एक प्रतिनिधि के आधार पर होता था,जिसमे मज़दूरो के मुकाबले किसानों को एकबटेपॉच मताधिकार प्राप्त था। यह काग्रेस एक केन्द्रीय कार्यकारिणी कौसिल का चुनाव करती थी, जो ऐसे समय मे नियम बनाती थी जबकि काग्रेस का अधिवेशन नहीं होता था । केन्द्रीय कार्यकारिणी ही सरकार की नियुक्ति करती थी जो कौसिल आफ दि पीपल्स कमिसार्स कहलाती थी। सोवियत-सघ मे सात स्वायत्त-भोगी जनतन्त्र (फेडरल रिपबलिक्स) थे ।