पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४२२

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हगरी दिया गया । इस प्रदेश मे कच्चा लोहा निकलता है तथा यह सामरिक महत्व का भी है । अप्रैल १६४२ मे जब जर्मनी ने युगोस्लोविया का अपाहरण किया तो स्लोवेनिया के उत्तरी भाग को भी, जिसमे थोदे से जर्मन आबाद है , वह दबा बैटा । मैइ १६४२ मे उसके कुछ जिले हगरी को दे दिये गये ।


हगरी क्षैत्र ६४,००० , वर्ग जन १,३०,००,०००,; राजधा बुदापेस्त । पहले यह औस्त्रलिया हगरी साम्रज्य का आधा भाग था ।१६१२८ के युध के बाद यह स्वतन्त्र होगया , किन्तु इसमे उसे अपने ७५ फीस प्रदेश और ६० फीसदी जनसन्ख्या से हाथ धोने पदे । उत्तर मे स्लोवाकिचेकोस्लोवकिया ने पूर्व मे तत्य्रनिस्लोविय रुमनिया ने, दक्क्षिण मे क्रोशि तथा अन्य प्रदेश युगोस्लोविया ने और पस्चिम मे

   औस्त्रलिया ने बर्ग्लेनणद प्रदेश ले लिये । आरम्भ मे , १६१६ मे, कुछ समय तक सम्यावदी अधिनयक रहने के बाद से नोसेनापति होथी हगरी का शासक है। यध्यापि हगरी मे राज तन्त्र है,किन्तु वहा राजा नही है । सितम्बर १६३८ मे, जब मम्युनिरव सम्भओतैव के अनुसार ,चेकोस्लोवकिया क प्रथम बन्त्वरा हुआ ,तब स्लोवकिया बधा प्रदेश ,और, मार्च १६२६ मे, चैको के दुसरे बत्वरे मे , उसे रुस का लकप्थिन्न सुबा मिल गया । आगस्त १६४० मे उसने त्रन्सिल्वेनिया रुमनिया से लेलिया । हगरी इस युध मे तथस्त रहा, किन्तु धुरी रस्त्रून से मिल रहा । १६४० मे वह त्रिगुत मे शामिल हुआ और १६४० मे ही उसने जन फोजो को रुमानिया के लिए  रास्ता दे दिया , और अप्रैल १६४२ मे तो धुरी रस्त्रो के साथ  युगोस्लोविया के युध मे और जुन १६४२ मे रूस के और मरण मे शामिल हुआ । हगरी के प्रधान मन्त्री ,काउन्त तेलेकी ,ने हगरी के युध