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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४२६

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हाकोन ४२१ सुविधानुसार एक या दो बोर्ड हैं । देशी रियासतों मे भी बोर्ड हैं। प्रत्येक ज़िला और नगर मे भी उसकी शाखाएँ हैं। इस सघ की ओर से दलित जातियों मे शिक्षा-प्रसार के लिए उद्योग किया जाता है । इसके लिए 'गांधी-छात्र-वृत्ति' की व्यवस्था कीगई है। इसके फड से उच्च शिक्षा के लिए प्रत्येक प्रान्त मे दलित वर्ग के छात्रो को वृत्तियाँ दी जाती हैं। प्रत्येक प्रान्तीय बोर्ड की ओर से माध्यमिक शिक्षा के लिए वृत्तियों दी जाती हैं । गॉवो मे उनकी सुविधा के लिए रात्रि-पाठशालाएँ तथा कुएँ और तालाब बनाये जाते हैं । इस संघ की ओर से दलित छात्र और छात्राओं के लिए छात्रावास भी स्थापित किये गये हैं। मन्दिर-प्रवेश के लिए भी संघ की ओर से प्रयत्न किया जाता है। दलित छात्रो को उद्योग-धन्धे और व्यवसाय के लिये प्रोत्साहित किया गया है । देहली में, जहाँ केन्द्रिय बोर्ड का प्रधान कार्यालय है, एक 'हरिजन उद्योग-शाला' की स्थापना की गई है, जिसमे छात्रों के लिये विविध प्रकार के शिल्प-कला-कौशल- शिक्षण का प्रबंध है। इसी प्रकार की एक सस्था प्रयाग में 'हरिजन-पाश्रम' नाम से है, जिसका सचालन मशी ईश्वरशरण के हाथ मे है, जो लगन तथा सेवा-भाव से प्राश्रम का संचालन कर रहे हैं । हवाई टारपीडो-हवा मे सीधा उड़नेवाला बम, जिसमें पंखे लगे रहते है। इसे रेडियो द्वारा नियत्रित किया जा सकता है। हाकोन-नारवे का बादशाह; डेनमार्क के राजा आठवे फ्रेडरिक का पुत्र; ३ अगस्त १८७२को पैदा हुया; प्रिन्स कार्ल के नाम से डेनमार्क का शहज़ादा कहलाया ; स्वीडन से नारवे के पृथकरण के समय नारवे की गद्दी के लिये चुना गया; वादशाह सप्तम ऐडवर्ड की राजकुमारी माड से विवाह किया, जिससे २ जुलाई १६०३ को युवराज अोलफ पैदा हुआ; १६३८ में रानी माड का देदान्त होगया । अप्रेल १६४० में जर जर्मनी ने नारवं पर प्राकमण किया तो राजा हाफोन ने मोना लिया और मित्र-तनात्रों के साथ- सामनारपे की सेना का संचालन किया । इथियार डाल देने के हिटलर के मतालये से उनने दुकरा दिया और जर्मन उदासो द्वारा विशेष रूप से उसीको लदा नाकर गोले रस्ताये जाने के अवसर पर उसने अत्यन्त