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हिटलर ४२५ अपने को 'जर्मन-मज़दूर-दल' कहते थे और इनकी बैठके गुप्त रूप से म्युनिख की एक सराय मे हुआ करती थीं । ड्रक्सलर नामक एक मजदूर ने इस दल की स्थापना की थी, जिसके कुल ६ सदस्य थे। हिटलर इस दल का सातवाँ सदस्य बना और उसने दल के विकास के लिये आन्दोलन प्रारम्भ किया । दल सुसङ्गठित हुआ, हिटलर उसका नेता बना और उसने ड्रक्सलर को निकाल बाहर किया । दल का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन मज़दूर दल' रख दिया गया । सन् १९२३ मे हिटलर के इस दल ने सत्ता हस्तगत करने के लिये शासन-उत्क्रान्ति का प्रयत्न किया। बवेरिया के कमिश्नर और म्युनिख छावनी के जनरलो के सहयोग पर हिटलर ने भरोसा किया, किन्तु वह इसके विरोधी होगये और उत्क्रान्ति का प्रयास विफल गया। हिटलर पकड़ा गया, उसको पॉच साल कैद की सज़ा दीगई और उसे लैन्ड्सबर्ग, (बवेरिया) के किले मे बन्दी बनाकर रखा गया, जहाँ उसने अपनी संसार-प्रसिद्ध पुस्तक 'माईन काम्फ'-(Mein Kampi) 'मेरा सघर्ष' का-जिसमें उसकी राजनीतिक योजनाओ का उल्लेख है-प्रथम खण्ड लिखा। राष्ट्रवादी अधिकारियों की सहायता से, अाठ महीने बाद, कारावास की अवधि से पूर्व ही, उसे रिहा कर दिया गया। उसने अपने दल का पुनर्सगठन किया और अपने आत्मचरित का दूसरा खण्ड, १६२५-२७ मे लिखा। ___'मेरा संघर्ष'--'माईन काम्फ' वस्तुतः हिटलर की आत्मकथा नही है । इस पुस्तक मे उसने अपनी योजनाश्रो का विवेचन किया है, जिनका सारांश इस प्रकार है : संसार में केवल आर्य जाति ही, जिसे नार्डिक जाति भी कहा गया है, सर्वश्रेष्ठ है । इसी जाति ने अपने बाहुबल द्वारा इतर हीन जातियो पर विजय प्राप्तकर वर्तमान सभ्यता का निर्माण किया । हिटलर का जीवनतत्त्व जाति और रक्त पर आधारित है। किन्तु, हिटलर के अनुसार, आर्यों ने विजित हीन जातियो से रक्त-मिश्रण करके यह पाप कमाया कि आर्य जाति का क्रमशः शारीरिक और आत्मिक पतन होगया । सम्प्रति अधर्मी सशक्त यहूदी जाति आर्यों को नष्ट कर डालना चाहती है । इन यहूदियो का संसार-व्यापी गुप्त संगठन है। इनका मुख्य उद्देश आर्यों से रक्त-मिश्रण करके आर्य-राष्ट्रों के जातीय आधार को नगण्य बना देना है। इस प्रकार वह अायों को एक