पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४३४

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हिटलर ४२६ मे समाजवादी है । इस गुट की बैठक पूर्व चान्सलर फ़ान पैपेन के तत्त्वावधान में, कोलन मे, एक महाजन के मकान पर अर्द्धरात्रि को हुई । ज़मीदार तथा व्यापारी अधिकतर गैर-नात्सी 'जर्मन राष्ट्रवादी दल' के अनुयायी थे। उन्हे भरोसा था कि हिटलर उनके हाथ का कठपुतला बन जायगा और बूढ़े हिन्डन- बर्ग को-भले ही उसने कुछ महीने पहले हिटलर को चान्सलर बनाने से इनकार कर दिया था-समझा लेने में कोई दिक्कत ही नहीथी। श्लेशर को मंत्रि-मण्डल से पद-च्युत कर दिया गया, और, ३० जनवरी १६३३ को, राष्ट्रवादियों का सयुक्त मंत्रि-मण्डल बना और इसीदिन हिटलर जर्मनी का चान्सलर नियुक्त किया गया। शक्ति-सम्पन्न हिटलर-शक्ति-सम्पन्न होते ही हिटलर ने पहला काम यह किया कि उसने राइखताग-भवन मे आग लगवाई। नासियो ने पार्लमेट की इमारत मे आग लगाई और इसका दोषारोप साम्यवादियो पर किया गया । अपने बहुसंख्यक विरोधियो को गिरफ्तार करने और साम्यवादियो और समाज- वादियो की कार्यवाहियो का अन्त करने के लिये ही–ताकि वह आगामी चुनाव मे हस्तक्षेप न कर सके, और बाद मे यह नारा बलन्द करने के लिये कि जर्मनी को कम्युनिस्ट-विद्रोह से बचा लिया गया-हिटलर ने यह षड्यन्त्र रचा। किन्तु चुनाव में नात्सी दल को मनचाही सफलता न मिली। ५ मार्च १६३३ के जर्मन पार्लमेट के चुनाव मे नासी उमीदवारो को कुल ४४ फीसदी यानी १,७२,७०,००० मत मिले । जर्मनी के एकमात्र शक्ति-सम्पन्न हिटलर के नात्सी दल का बहुमत इस समय भी न होसका | इस चुनाव मे राष्ट्रवादियो को ८ फीसदी मत मिले । हिटलर ने, विरीधी-दल के तथा साम्यवादी सदस्यो को राइख़ताग से धीगाधीगी निष्कासित कर देने के बाद, एक कानून राइखताग से स्वीकार कराया जिसके अनुसार वह जर्मनी का अधिनायक बनकर वहाँ की गुप्त पुलिस (गेस्टापो) तथा अपने दल की सेना के सहयोग से शासन करने लगा। इस प्रकार जर्मनी में प्रजातन्त्र के अवशेष का भी अन्त कर दिया गया। अपने विरोधियो को पकड़-पकड़कर उसने केन्द्रीय कैदखानो मे-जो इसीलिये बनाये गये थे-भर दिया, जिनमें से बहुत से तो मर गये । मज़दूर संघ तोड़ दिये गये, समस्त विरोधी दलो का दलन कर दिया गया और यही हाल राष्ट्रवादियो का हुआ, जिनके साहाय्य के कारण ही हिटलर शक्ति-सम्पन्न बना था । यह