पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४३७

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४३२ हिटलर चाहते । x x x चैक राष्ट्र में मेरी और अधिक दिलचस्पी नहीं है।" यही नही, उसने शेप चेकोस्लावाक राष्ट्र की रक्षा का भी वचन दिया। इस पर, म्युनिख-समझौते के अनुसार, सुडेटनलैन्ड जर्मनी को दे दिया गया । किन्तु हिटलर ने अपना कदम नहीं रोका । चैको० के राष्ट्रपति दाशा को बलिन तलब किया गया और तदनुसार शेष चको० को जर्मनी ने अपना 'संरक्षित' राज्य बना लिया। थोड़े दिन बाद उसने मैमल प्रदेश को भी हड़प लिया। इसके बाद फिर भी हिटलर ने एक बार घोषणा की कि योरप मे अब उसे और कुछ नहीं लेना है। ___ पोलैन्ड और हिटलर-~-हिटलर ने ,'शान्ति-स्थापनार्थ", १६३४ में, पोलैन्ड के साथ एक समझौता अनाक्रमण-सन्धि के रूप मे किया था। वैको स्लोवाकिया के प्रथम बॅटवारे में उसने पोलैन्ड को भी हिस्सा दिया था। किन्तु, मार्च १६३६ मे, चैको० के शेष भाग को हड़प लेने के बाद ही, पोलैन्ड के विरुद्ध तैयारियाँ होने लगी। हिटलर ने पोलैण्ड से दाज़िग और कोरीडर की वापसी का मतालबा किया । पोलैन्ड ने, ब्रिटेन और फ्रान्स की ओर से मिले हुए रक्षा के वचन के भरोसे, इस मतालबे को नामंज़र किया, किन्तु शान्तिपूर्ण समझौते के लिय बातचीत जारी रखने की इच्छा प्रकट की। हिटलर ने अगस्त १६३६ मे छद्मवेशी नात्सी सेना को दाज़िग पर कब्जा कर लेने की आज्ञा दे दी और, २३ अगस्त को अपने घोर शत्रु रूस से समझौता करके उसने ससार को आश्चर्यचकित कर दिया। हिटलर आशा करता था कि पश्चिमी राष्ट्र-ब्रिटेन और फ्रान्स-पोलैन्ड की सहायता के सम्बन्ध मे अपने वचन का पालन नही करेगे । बरतानवी राजदूत ने २३ अगस्त को जब हिटलर से कहा कि ब्रिटेन प्रत्येक अवस्था मे पोलैन्ड की सहायता करेगा और हिटलर से, उसके लड़ाई मोल लेने के इरादे पर विचार करने की बात कही तो हिटलर ने जवाब दिया-“मै ५० वर्ष का होचका । ५५ या ६० का होने से पेश्तर, आज, मै लड़ाई को पसन्द करता हूँ।" २६ अगस्त को पोलैन्ड को कहा गया कि वह अपना प्रतिनिधि बर्लिन भेजे, जो उसके (हिटलर के) सामने अपनी शर्ते पेश करे और जिसको समझौते पर हस्ताक्षर करने का अधिकार प्रास हो । शुनिग और हाशा की गति पोलैण्ड देख चुका था, उसने इनकार