हिन्दुस्तानो ४३६ क्रिया । फ्रासीसी और जापानी सेनाओ में, इस कारण, कुछ दिन तक युद्ध होने के बाद विशी की फ्रासीसी सरकार ने जापान के कुछ मतालत्रो को मान लिया। स्याम ने भी हिन्द-चीन से ग्रपने थाई-भाषाभापी मकलाई जिले को-जिसे ५० वध फ्रान्सीसी गर स्यामी सेनाशं के कुछু दिन के युद्ध के बाद, मई १६४१ में, पूर्व हिन्द-चीन मे मिला लिया गया था -वापस माँगा। यह प्रदेश स्याम को बापस कर दिया गया । जापान दन दोनो देशा के बीच १च बना और दोनो ने वचन दिया कि जापान के बिरुद्ध वह किसी गुट सम्मिलित न होगे। जापान ने हिन्द-चीन मे अपने बनाये और उन्हींके द्वारा डच, बरतानवी र[म]की] सामाज्य पर, ७ उसने हमला करके के महीनो में ब्रह्मा तक के विशाल भूभाग को हड़प लिया । हिन्द-चीन पर करने के कारण सयुक्त राज्य अमरीका ने जापान को जगी सामान बेचना बन्द कर दिया । इसी समस्या को हल करने के लिये जापान के प्रतिनिधि वाशिंगटन गये । वह वहाँ बातचीत करही रहे थे क्ि इधर जापान ने विश्वासघातपृर्वक हिन्दुस्तानी-'हिन्दुस्तानी' से मतलव उस भाषा से है, जिसमें न सस्कृत और न अरबी-फारसो के ठेठ बोलो या मुहावरों की भरमार हो । ऐसी भाषा जो हिन्दी औ उद्' दोनो लिपियो या ख़तो मे आसानी के साथ लिखी जासके, जिसे सभी प्रकार के, सभी पेशे के, लोग सारे देश में पस में बातचीत करते वक्त बोलते और बखबूवी समझते हैं । कांग्रेस रभी कामो में इसी भाषा को बरतती रही है और इसीके रिवाज पर जोर देती है । काग्रेसी सरकारे भी, सरकारी कामो में, इसी भाषा को बरतती रही । हिन्दु- स्तानी के चलन से हमारे देश के एक बडे सवाल का हल आसानी से हो जाता है। 'हिन्दुस्तानी' से मतलब उस भाषा से भी है, जिसे हमारे देश में विदेशी ईसाई मिशनरी, गोरे फौजी र, योरपियन आई० सी० एस० या विदेशी योरपियन व्याप।री वगैरह बोलते हैं | इनकी हिन्दुम्तानी, अगरेजी से अरबी-फारसी के शब्दो मे तर्जुमा होने की वजह से, हमारी दिनरात बोली जाने- वाली सादा हिन्दुस्तानी के मुकाबले, कठिन है | हिन्दुस्तानी असल मे उस सादा बोली का नाम है जिसे बच्चे-बूढे, मजदूर- मुन्शी, मर्द- औरत, नौकर- मे दिसम्बर १६४१ को, उक्त आक्रमण कर दिया। से
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