पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हैस ४४१ स्वाधीनता को अपना लक्ष्य घोषित किया । १६२६ मे ही ऋ्ान्तिकारियो ने आपकी स्पेशल को उड़ाने का प्रयत्न किया था , जिसके कारण इस वर्ष के कांग्रेस अधिवेशन में, केवल महात्मा गान्धी की प्रेरणा और प्रभाव से, आपके प्रति सहानुभूति का प्रस्ताव स्वीकार किया गया । ग्रापके ही शासन-काल १६३० मे सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ। आन्दोलन के दि मे लाडे इरविन ने वेगपूर्ण आर्डिनेन्स- शासन द्वारा दमन - चक्र चलाया, किन्तु उसकी নিष्फलता को अप नुभव करने लगे और १६३१ में पर पकी सरकार ने काग्रेस से सन्धि करली, फलतः गोलमेज़ कान्फरेन्स हुई । के व्यक्तित्त्व से महात्मा गान्धी प्रभावित हुए बिना न रहे और उन्होने पको ' सच्चा ईसाई' कहा । १६३१ में विलायत लौटकर १६३२ मे, अपने पिता के बाद, पुश्तैनी वाइकाउन्ट बने और सरकार में फिर क्रमशः शिक्षा-बोडे के प्रधान, युद्ध- मन्त्री, लार्ड प्रिवी सील और कौन्सिल के लार्ड प्रेसिडेएट रहे । नवस्बर १६३७ म हिटलर से समभझौते की बातचीत करने भेजे गये, किन्तु असफल रहे । ऐन्थनी ईडन के त्यागपत्र देदेने पर, २५ फरवरी १६३८ को, लार्ड हैलिफैक्स विदेश-मन्त्री बनाये गये| आरम्भ मे ाप सन्तुष्टिकरण नीति के समर्थक रहे, किन्तु पीछे जर्मनी से लोहा लेने के पक्षपाती बन गये । रूस से समझौता करने का प्रयत्न किया औ, सितम्बर १६४० में, हिल चुकी थी, पने फ्रान्स और बरतानिया की ओर से पोलेए्ड को बचाने के वचन को पूरा करने पर ज़ोर दिया। वह चेम्बरलेन की सरकार मे अर उपरान्त, दिसम्बर १६४० तक, चरचिल-मन्त्रिमण्डल मे विदेश-मन्त्री रहे । उपरान्त आपको अमरीका में राजदूत बनाकर भेजा गया और विदेश-मन्त्री का भार फिर ईंडन ने सँभाला। आजकल अरप वाशिंगटन मे नियुक्त हैं । हैस, रुडाल्फ-नात्सी नेता; मिस्र के सिकन्दरिया नगर मे, २६ प्रैल १८६६ क्रो, पेदा हुआ,जहाँ हेस का बाप व्यापार करता था, प्रारम्भिक शिक्षा सिकन्दरिया के एक ॅगरेज़ी स्कूल मे पाई, िछले युद्ध मे जमेन-सैनिककी भाति नडा, आहत हुतरा और १६१- मे उड़ाका बन गया । १६१६ मे वबेरियाके विद्रोह मे श्वेत-पक्ष की से ला; म्युनिख विश्वविद्यालय में पढता रहा । हिटलर के राष्ट्रीय-समाजवादी दल में पहले जत्ये के साथ भर्ती हुआ और जब फ्रान्सीसी-सरकार की जड