________________
४५२ अल्लाहबश मॉर्गे) का मुसलिम लीग अथवा उसको भारत की एकमात्र प्रतिनिधिक नुसलिम सस्था माननेवाले ब्रिटिश अधिकारियों ने कोई उत्तर नहीं दिया है। अन्सारी-डाक्टर शौकतुल्ला, एम० डी०, स्वर्गीय मदान् भारतीय नेता डाक्टर मुख्तार अहमद अन्सारो के भतीजे, जन्म सन् १९०७, अलीगढ़ मुमलिम विश्वविद्यालय में शिक्षा पाई। चिकित्सा-शास्त्र पढ़ने देंगलंण्ड गये, वहाँ तथा जर्मनी मे डाक्टरी पढ़ी। १९३८ में वापस भारत लौटे, और अपने चचा के स्थान पर दिल्ली के सुप्रसिद्ध डाक्टर हैं । डाक्टर शौकतुल्ला अन्सारी, अपने यशस्वी चचा को भॉति, भारतीय राजनीति में अग्रसर होकर भाग ले रहे हैं। आप अाज़ाद मुसलिम दल के प्रधान मन्त्री हैं । अल्लामा 'मशरिकी'-केन्द्रिय असेम्बली मे, सितम्बर '४२ में ख़ाकतारो पर से पाबन्दी उठाये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर हुए वादविवाद के अनुसार, प्रान्तीय सरकारों की सहमति से, भारत सरकार ने खाकसार-आन्दोलन के संचालक अल्लामा मशरिकी को ता० २८ जनवरी '४३ को रिहा कर दिया और वाकसारों पर से पाबन्दी उठाली ] अल्लामा ने सरकार की शतों को स्वीकार कर लिया है और एक बयान निकाल कर कहा है कि लड़ाई के समाप्त होने तक उनका आन्दोलन सैनिक ढग का न रहेगा । खाकसार व्यक्तिगत रूप में समाज-सेवा करते रह सकते हैं। सामूहिक रूप से वे न वदी पहनेगे, न कोई हथियार, न वेलचा धारण करेगे, न 'अखवत' बैज लगायेंगे, न कवाइद-परेड करेगे और युद्ध-प्रयत्नो में सरकार की भरसक सहायता करेंगे। अल्लाहबख्श, मुहम्मदउमर-सिंध-सरकार के प्रधान-मन्त्रि-पद से आप च्युत कर दिये गये। माननीय स्वानबहादुर अल्लाहबश, श्रो० बी० ई० ने, ब्रिटिशनीति के विरोध-स्वरुप 'खान वहादुर' तथा 'श्रो० बी० ई०' की पदवियाँ सितम्बर ४२ के तीसरे हफ्ते मे त्यागदी। इस सम्बन्ध मे जो पत्र भारत के वाइसराय को आपने लिखा, उसका एक अवतरण निम्नलिखित है: "मुझे मिली हुई दोनों सम्मानास्पद उपाधियो को, जो मुझे ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान कीगई थी, त्याग देने का मैने निर्णय कर लिया है, क्योकि, मै __ अनुभव करता हूँ कि, अपनी विचारधारा और धारणा के अनुकूल मै और अधिक काल तक उन्हे धारण नही किये रह सकता। दीर्घकाल से भारत