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आयरिश स्वतंत्र राष्ट्र
 


और जिस उम्मीदवार को वह चाहता है उसके नाम के सामने नम्बर १ लिख देता है। इसके बाद दूसरे उम्मीदवार के सामने, जिसे वह चाहता है, २ लिख देता है, इसी प्रकार यह सिलसिला चलता है।

अब यदि मत-गणना करते समय यह परिणाम प्रकट हो कि १ नम्बर के उम्मीदवार को निर्धारित सख्या से अधिक मत प्राप्त हुए हैं तो वह अधिक मत उस उम्मीदवार के मतो मे जोड़ दिये जायँगे जिसे सबसे अधिक मतदाताओं ने नम्बर २ दिया है। इसी प्रकार यदि उसके मत भी निर्धारित संख्या से अधिक हो जायँ तो तीसरे नम्बर के उम्मीदवार को अधिक मत दे दिये जायँगे। इसी प्रकार आगे भी होता रहेगा। स्विट्जरलैण्ड में यह प्रणाली प्रचलित है।


आयरिश स्वतंत्र राष्ट्र--यह इँगलैण्ड के पश्चिम मे एक द्वीप है। पहले यह महान् ब्रिटेन का अंग और उसके आधिपत्य में था। इसका क्षेत्रफल ३१,८०० वर्गमील तथा आबादी ४३,००,००० है। जब सन् ११५२ में अँगरेजो की सत्ती आयरलैण्ड में स्थापित हो गई, तब से आयरिश जनता तथा अँगरेजो में संघर्ष होने लगा। आयरिश अँगरेज़ी आधिपत्य के शुरू से विरोधी रहे। इसके दो कारण थे, एक जातीयता तथा दूसरा धार्मिक मतभेद।

आयरिश रोमन कैथलिक तथा अँगरेज प्रोटेस्टेट थे। क्रॉमवेल की अधीनता में इन दोनो में घोर संघर्ष हुआ और उत्तरी आयरलैण्ड से, जो अब अल्स्टर कहलाता है, आयरिश जनता को निकाल दिया गया और इस प्रदेश मे अँगरेज प्रोटेस्टेट तथा स्कॉच लोग बसा दिये गये। सन् १८०० तक आयरलैण्ड में अधीनस्थ पार्लमेण्ट काम करती रही। इसी वर्ष आयरलैण्ड को सयुक्त-राज्य ग्रेट ब्रिटेन (United Kingdom of Great Britain) में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार आयरलैण्ड का अँगरेजी-करण तो हुआ परन्तु आयरिश जनता में राष्ट्रीय भावना का पुनर्जागरण होगया। अँगरेज़ ज़मीदारो तथा सम्पत्तिशालियो ने आयरिश जनता को न केवल सामाजिक दमन ही किया प्रत्युत् उसका आर्थिक शोषण भी। वह ख़ुद भूमि के स्वामी बन गये और आयरिश केवल काश्तकार ही रह गये। १९वी सदी मे आयरिश जनसंख्या कम हो गई। आयरलैण्ड की आधी पैदावार इँगलैण्ड के ज़मीदारो