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४५६ कासाब्लांका-सम्मेलन का अर्थ बुरीराष्ट्रो, उनकी जनता, का नाश नहीं है, किन्तु, अन्य देशो के प्रति उनकी घृणा, विभापिका और दासतामूलक नीति का नाश है। (द) 'युद्ध-रत' फ्रास के प्रतिनिधि जनरल चार्ल्स द गॉल और जनरल जिरौ भी इस सम्मेलन में सम्मिलित थे। इन दोनो ने फ्रास को स्वतन्त्र करने के लिये पारस्परिक सहयोग की सहमति दी । फासीसी राष्ट्र समिति ने एक वक्तव्य निकाल कर कहा है कि तत्काल ही पदाति, जलीय और वायव्य सेना का सङ्गठन करके मोर्चे कायम किये जायेंगे। उक्त दोनो जनरलो ने फासीसी उत्तरी और पश्चिमी अफरीका के वर्तमान युद्ध को दृष्टिगत रखकर अपनी योजना बनाई। __दोनो देशो के सेना विभाग के नायको ने अत्यन्त परिश्रमपूर्वक, इस विश्वयुद्ध के सम्बन्ध मे, व्यापक और परिपूर्ण तथा अभूतपूर्व योजनायें तैयार की है। मि० चर्चिल ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि इन योजनाओं का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण परिणाम निकलेगा। १२ फरवरी को, इस सम्बन्ध में, अमरीकी राष्ट्र के नाम सन्देश देते हुए प्रेसिडेन्ट रूजवेल्ट ने कहा कि, इन दिनो उत्तरी अफ्रीका के ट्य नीशिया-क्षेत्र पर हमारी अमरीकी, बरतानवो और फ्रासीसी फौजे लड़ रही हैं । वही धुरीशत्र-सेनाएँ जो वहाँ विजय प्राप्त कर रही थी, उन्हे ब्रिटिश पाठवी सेना के सेनापति मान्टगोमरी ने १५०० मील पीछे खदेड दिया है । अागे हम शत्रु पर चारो ओर से अाक्रमण करेगे । ट्य नीशिया के युद्ध मे हमे बहुत बलिदान करना पड़ेगा। हम अपने इरादो को छिपाना नहीं चाहते । ट्य नीशिया में युद्ध समाप्त करने के बाद हम योरप मे उन देशो के उद्धार के लिये बढेगे जो आज नात्सी जुए के नीचे प्रपीड़ित होरहे हैं । हिटलर इसे जानता है, इसीलिये वह ट्य नीशिया मे अपनी भारी शक्ति लगाये हुए है। जर्मनी और इटली पर हमारा अवाध युद्ध चलेगा । पूर्व मे रूस शत्रु पर करारी चोटे कर रहा है, हम पश्चिम से वही करेगे। कासाब्लाका मे यह प्रकट होचुका है कि समस्त प्रवासी फ्रासीसी, अपने देश के उद्धार के लिये, सङ्गठित होरहे हैं । हम अपनी अतलातिक योजना मे स्पष्ट कर चुके हैं कि जो देश शत्रु-प्रहार के शिकार हुए हैं, उनको मुक्त कराकर उनकी स्वाधीनता का पुनर्निर्माण किया