पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४६२

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कासाब्लांका-सम्मेलन जायगा । कासाब्लाका के निर्णय और योजना किसी एक युद्ध-क्षेत्र, किसी एक देश अथवा किसी एक सागर तक सीमित नहीं हैं । यह वर्ष समाप्त होने से पूर्व समस्त ससार को हमारे कार्यों द्वारा, बातो द्वारा नही, उनका पता चल जायगा । संसार को अनेक नवीन सवाद सुनने को मिलेगे, अवश्य ही जर्मनो, इटालियनो और जापानियो के लिये वह सवाद अशुभ होगे। विशाल प्रशान्त महासागर मे हम जापान से एक-एक करके द्वीप लेने और उसे वहाँ हराने मे समय नहीं लगायेगे, बल्कि हम चीन की भूमि से भी अाक्रमक जापान को निकाल भगाने मे विस्तृत और निणयात्मक अाक्रमण करेगे । जापानियो पर चीन मे और स्वयं जापान देश पर भी हमारे हवाई आक्रमण होगे। इन निणयो की सूचना हम जनरलिस्सिमो को देचुके हैं। तोक्यो पर आक्रमण के प्रत्येक साधन का हम उपयोग करेंगे। धुरी राष्ट्र हमारे विरुद्ध प्रचार कर रहे हैं कि युद्ध के बाद हम सयुक्तराष्ट्र-अमरीका, ब्रिटेन, चीन और रूस-आपस मे कुत्ते-बिल्ली की भॉति लड़ेगे । हमारा-हम मित्र राष्ट्रो काका कासाब्लाका मे दिया हुया उत्तर यह है कि, तुम्हे हमारे सामने बिलाशर्त हथियार रख देने होंगे। लस इस समय शत्रु को मुंहफेर जवाब दे रहा है । धुरी राष्ट्रो को जान लेना चाहिये कि युद्ध को समस्त ससार के क्षेत्रो पर जीतने के लिये हम सब एकमत है । हम एक दूसरे की पूरी सहायता करेगे | अगर अाज जापान को पराजित किया जाता है तो दूसरे ही दिन संयुक्त राष्ट्रो के समस्त साधन जर्मनी को समाप्त करने में लग जायेंगे । ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ऐसा नियमित इकरारनामा करना चाहते थे कि जापान से पहले जर्मनी को खत्म किया जायगा, और तब ब्रिटिश साम्राज्य के समस्त साधन और सैन्य, जापानियो पर अन्तिम अाक्रमण करने के लिये चीन के साथ जुटाये जायेंगे । मैंने उनसे कह दिया कि ऐन किमी भी नियमित वक्तव्य अथवा करार की आवश्यकता नही है। यह सर्वविदिन और स्पष्ट है कि एशिया, गारप और अफ्रीका में बर शक्तियों के विनाशके सम्बन्ध में अपने इरादो में दमारा मतैक्य है। सारकोम ने कुमनिंग तक, ननध्यमागर से कोरल तागर तक और दलिन से तोक्यो तक ग्राज मानव-जाति युदामि में दग्ध दोरही है। प्रनाराम लिङ्गन के शब्दों में मि इतिहास को प्राप्त योनल