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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४७६

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भारत-रक्षा-कानून ४७१ हाउस मे टाइप कराके तय्यार रखा गया था ।" मि० हक के मन्त्रिमण्डल के पाँच सदस्यो ने भी एक वक्तव्य मे कहा कि वे गवर्नर द्वारा मांगे गये अपने इस्तीफो और सर नाज़िमद्दीन को सहयोग देने के अनुरोध का विरोध करते हैं । अस्तु; बंगाल मुसलिम लीग-दल के प्रधान त्वाजा सर नज़ीमुद्दीन ने नया मन्त्रिमण्डल बनाने का भार अपने ऊपर लिया, और १ अप्रैल '४३ से बंगाल मे १६३५ के भारतीय शासन-विधान की धारा ६३ के अनुसार गवर्नर का शासन रहने के बाद, २४ अप्रैल '४३ को बगाल मे नया मन्त्रि-मण्डल बन गया। नये मन्त्रिमण्डल मे सात मुसलमान ( सातो लीगी ), तीन सवर्ण हिन्दू और तीन परिगणित जातियो के सदस्य हैं । मि० अबुलकासिम फजलुलहक के मन्त्रिमण्डल मे पाँच मुसलमान ( स्वतन्त्र ), तीन सवर्ण हिन्दू और एक परिगणित जाति का हिन्दू सदस्य था । सर नाज़िमुद्दीन के मन्त्रि-मण्डल ने घोषणा की है कि वह अ०-भा० मुसलिम लीग की कार्यकारिणी के आदेशानुसार कार्य करेगा। फरर-जर्मन-भाषा मे नेता का पर्याय । हिटलर को पदवी। भारत-रक्षा-कानून-२२ अप्रैल १६४३ को भारत के मर्वोच्च न्यायालय, फेडरल कोर्ट, ने बम्बई हाईकोर्ट के फैसले की एक अपील को मज़र करते हुए-जो भारत-रक्षा-नियमावली के नियम २६ के अनुसार नजरबन्द, केशव तलपदे, की ओर से दाखिल की गई थी-अपना निर्णय दिया, जिसमे प्रधान न्यायाधीश सर मारिस ग्वायर ने लिखा कि नियम २६, अपने वर्तमान रूप मे, कानून की दृष्टि से शहनशाह के किसी प्रजाजन को विना मुकदमा चलाये नज़रबन्द कर देने का उतना व्यापक और पूर्ण अधिकार अधिकारियो को नहीं देता, जितना कि उसे प्रयोग में लाया जा रहा है । इस फैसले के दिन ही सरकारी क्षेत्रो की सूचना से विदित हुआ कि सरकारी कानूनदॉ नियम २६ की कानूनी त्रुटियों और अपूर्णतानो पर विचार कर रहे हैं और इस सम्बन्ध मे शीघ्र ही सूचना प्रकाशित कीजायगी, और कामन सभा में मि० एमेरी ने भी ऐसा ही कहा । २८ अप्रैल को भारत सरकार ने प्राडिनेन्स निकालकर उक्त कानून की त्रुटियो की पूर्ति करदी, जिनकी ल से, फेडरल कोर्ट के उक्त निर्णय के अनुसार, नजरबन्दो को तत्काल अथवा बाद के ६ दिनो के बीच रिहा किये जाने का प्रश्न भी नहीं उठ सकता । इसी नियम