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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४८१

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४७६ शिया काज्यारेंस

यह शब्द हैं प्रेसिडेन्ट रूज़वैल्ट के निजी प्रतिनिधि, मि० विलियम फिलिप्स
के, जो उन्होंने, ८ जनवरी '४३ को, नई दिल्ली पहुंचने पर अखबार-नवीसो
की एक कान्फरेन्स में कहे । प्रश्नोत्तर मे आपने ओर कहा - "मेरा काम
भारत ( भारतीय स्थिति ) का यथाशक्य समझने और अपनी रिपोर्ट प्रेसिडेन्ट
के सामने पेश कर देना हैं ।" "में पहले यहाँ कभी नही आया, किंतु ४० क्यों
से अमरीकी राजय-शासन से सम्बन्धित्त रहने के कारण भारत और भारतीयो के
विषय मे मेरो विशेष रुचि उत्पन्न हुई है ।" "अमरीकियो और भारतीयो को
परस्पर वहुत कुछ सीखना है |"

         देश के अनेक भागो मे आप गये है, ओर आपने यहाँ बहुत से दलो

के अगुआओ से भेट की है | २५ अप्रेल ’४३ को एक विदाई-समारोह मे,
प्रश्नोत्तर के समय पत्र-सवाद-दाताओ से बातचीत करते हुए आपने बतलाया -
"श्री गाधी से मै मिलना और बातचीत करना चाहता था | मैंने इस सम्बन्ध
में अधिकारियो से अनुमति के लिये निवेदन किया, किन्तु उन्होंने मुझे सूचना दी
कि वह मुझे इस विषय की आवश्यक सुविधायें देने मे असमर्थ हें |" आपके
वक्तव्य के अन्य भाग से स्पष्ट है कि आपका भारत में अमरीकी फौजी मामलात
से कोई सम्बन्ध नही है । विदेशो मे आप वर्षों अमरीकी राजदूत रहे हैं |

         शिया कान्फरेस - जिसका पूरा नाम आल-इडिया शिया सोशल

कान्फरेस है | समस्त सन्सार के मुसलमानो मे सुन्नी और शिया दो बडे
फिरके हैं | वार्मिफ-विश्वास्-सम्बन्धी मतैक्य इस भेद का कारण है, और यह
मतभेद इसलाम के प्रादुर्भाव-काल से ही चला आ रहा हे | धार्मिक-विश्वास -
गत इस मतभेद का प्रभाव समुदाय को सामाजिक, राजनितिक, आर्थिक
आदि स्थितियों पर भी पड़ बिना नहीं रहता | योरप मे ईसाइयो के प्रोटेस्टेदृट
ओंर कैथलिक फिरकी मे सैकडों वर्ष तक बिकट कटुता रही,मैं ५ मैं पाशा.
मतभेद इसलाम के प्रादुर्भाव-काल से ही चला आ रहरहे । धार्मिक-विश्वास-
गत इस मतभेद का प्रभाव समुदाय की सामाजिक, राजनितिक, आर्थिक
आदि स्थितियों पर भी पडे बिना नाहीं रहता । योरप में ईसाइयों के योटेल्लेष्ट
और कैथलिक फिरकी में सैकडों वर्ष तक विकट कटुता रही, यहाँतक कि इसी
कारण शान्ति, सहिष्णुता ओंर प्रेम के अवतार महात्मा ईसा के अनुयायी,
इन दो समुदायों में रक्तपात और युद्ध तक हुए । इसलाम और उसके महान्
पैगम्बर के अनुयायियों का यह मतैक्य भी सदियों पुराना हैं, और तुर्किस्तान
३ छोडकर अन्य इसलामी देशो" में किंसीन्नक्वेंकिसी रूप में पाया जाता है
है में भी कमाल अता तुर्क के युग में इस मतभेद का उम्मूलन हुआ है|