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सर्व-दल-नेता-सम्मेलन

         सर्व-दल-नेता-सम्मेलन--फरवरी-मार्च '४६ ने महात्मा गांधी के २९ 

दिन के त्रत-काल मे श्रीराजगोपालाचारी तथा श्री क० मा० मुन्शी आदि
नेताओ ने नई दिल्ली मे भारत के सर्व दलो के नेताओ का एक सम्मेलन
आमन्त्रित किया। यह सम्मेलन २० फरवरी ९६४३ को नई दिल्ली मे, सर
तेजबहादुर सप्रू के सभापतित्व मे हुआ,जिसने लगभग ३००० हिन्दु, मुस्लिम,
ईसाई, सिख, योरपियन आदि तम्प्रदायो के नेताओ ने भाग लिया। इस
सम्मेलन मे डा० जयकर ने निम्र प्रत्ताव प्रुस्तत किया, जो सर्व सम्मति से
स्वीकार किया गया:-

         "यह सम्मेलन, जो भारत ने विविध धर्मो, संप्रदायो एवं हितो का प्रति-

निधि है, इस देश की जनता की देशव्यापी आकांक्षा की अभिव्यत्कि करता है
कि भारत के भविष्य एवं अंतराष्ट्रीय शुभाकांक्षा के हित मे महात्मा गांधी को
तुरंत ही बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया जाय। यह सम्मेलन उस गंभीर
स्थिति को सबसे अधिक चिन्ता के साथ देखता है जो उस समय उत्पन्न हो
जायगी जबकि सरकार समय पर कार्यवाही करने मे विफल रहेगी और इस
संकट का अवरोध न कर सकेगी। इसलिए यह सम्मेलन सरकार से अनुरोध
करता है कि वह महात्मा गांधी को तुरन्त रिहा करदे।"

         वाइसराय की सेवा मे यह प्रस्ताव स्वीक्रित होने से पूव ही सूचनार्थ भेज दिया 

गया था और बाद मेन् उसकी स्वीक्रिति की सूचना भी दे दी गई थी । वाइसराय
के प्राइवेट सेक्रेटरी ने,२९ फरवरी ९६४३ को,इस प्रस्ताव के उत्तर मे निम्न-
लिखित पत्र सम्मेलन के सभापति, सर तेजबहादुर सप्रू, को भेजा:-

         "श्री गांधी के उपवास के मामले मे भारत सरकार का द्रिष्टिकोण स्पष्ट रुप 

से उस विज्ञप्ति ने उल्लिखित है जो सरकार ने १० फरवरी को प्रकाशित की
थी और उसकी एक प्रति आपके अवलोकन सुविधा के लिए भेजता हूँ।
उस तारीख के बाद कोई नवीन स्थिति पैदा नही हुई है और भारत सरकार
की विज्ञप्ति, स्पष्टत: त्रत के सवध ने पूरी जिम्मेदारी श्री गांधी पर ही स्वीकार
करती है, सरकार पर नही, इसलिए उसके अन्त करने का निर्णय भी उनके
ऊपर ही निर्भर है।"

         इसी दिन सर तेजबहादुर सप्रू,(सभापति),श्री एन० सी० चट्टोपाध्याय